तालाबों का सौन्दर्यीकरण का सपना बना है अधूरा
करोड़ों खर्च होने के बाद भी तालाब की नहीं हो पाई सफाई
झाँसी। शहर के ऐतिहासिक तालाबों के लिए केन्द्र सरकार व राज्य सरकार करोड़ों रूपये खर्च कर रही है। इसके बावजूद भी तालाबों का सौन्दर्यीकरण नहीं हो पा रहा है। जबकि शहर के तालाबों का सौन्दर्यीकरण शहर के विकास कार्य के लिए एक नई योजना बन सकता है और इससे कई नौजवानों को रोजगार भी मिल सकता है। लेकिन ेदेखा जा रहा है कि इन तालाबों को पीपी मॉडल में देने की तैयारी की जा रही है जबकि तालाबों की देखरेख के लिए रायकवार समाज के लोग तालाबों से मछली पालन कर अपना कारोबार चलाते थे, लेकिन इनके कारोबार को प्रश्र चिन्ह लगाते हुये पीपी मॉडल में ठेकों पर तालाबों को देना रायकवार समाज के लिए दुखदायी हो रहा है। वह अपना भरण पोषण मछली पालन के द्वारा ही करते चले आ रहे हैं। लक्ष्मी तालाब व आंतिया तालाब के पास रायकवार समाज के हजारों लोग अपना रैन बसेरा बनाकर वर्षों से रह रहे हैं और तालाब में मछली पालन कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। जबकि सरकार की योजनाओं में जाति से संबंधित कारोबार के लिए संबंधित जाति विशेष को ही कारोबार से जोड़ा जा रहा है। लेकिन पीपी मॉडल की योजना से रायकवार समाज को दरकिनार कर दिया जाएगा। हालांकि लक्ष्मी तालाब के सौन्दर्यीकरण के लिए केन्द्र सरकार ने 54 करोड़ रूपये खर्च करने का प्रावधान रखा है और यह जिम्मेदारी जल निगम को दी गई है। हालांकि मछुआ समाज सन् 2002 से समिति बनाकर लक्ष्मी तालाब की सफाई में जुटा हुआ है। लेकिन जल निगम इस कार्य में लगभग तीन करोड़ के करीब खर्च कर चुका है। हालांकि सरकार से पूरा लाभ नहीं मिला है , जिससे कि लक्ष्मी तालाब का सौन्दर्यीकरण हो सके। फिलहाल केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती ने भी लक्ष्मी तालाब के सौन्दर्यीकरण के लिये पहल कर दी है। लेकिन सौन्दर्यीकरण के साथ-साथ आस-पास रह रहे रायकवार समाज के लोगों को तालाब के सौन्दर्यीकरण के बाद उन्हें दरकिनार कर दिया जाएगा। इस संदर्भ में रायकवार समाज द्वारा निरंतर मुख्यमंत्री को ज्ञापन पत्र भी भेजा गया। जिसमें रायकवार समाज का कहना है कि पीपी मॉडल पर तालाबों के सौन्दर्यीकरण दी जा रही है, तो तालाब में मछली पालन का कार्य रायकवार समाज को दिया जाए। हालांकि लक्ष्मी तालाब की सफाई 2002 से चल रही है जिसमें केन्द्र सरकार व राज्य सरकार प्रतिवर्ष लाखों रूपये खर्च करती है, लेकिन इसके बावजूद भी तालाब की जलकुंभी व तालाब के गंदे पानी को साफ नहीं कर पाए। हालांकि तालाब की सफाई के लिए कई सामाजिक संगठनों ने भी सहयोग किया, फिर भी इस कार्य को पूरा करने में 2015 तक सफलता प्राप्त नहीं कर पाए। तालाब के आस-पास की जमीन पर कब्जा हो गया था, जबकि तालाब की लगभग 86 एकड़ जमीन शिकायत करने पर नगर निगम द्वारा कब्जा मुक्त करायी गई। लेकिन आज इस जमीन को नगर निगम द्वारा कब्जामुक्त कराने के बाद इसके चारों तरफ फैंसिंग का कार्य नहीं कराया गया, जिससे कि तालाब की जमीन पर पुन: कब्जा शुरू हो गए हैं।