आपदा मेें कारगर है हैम रेडियो

आईटीएम में हैम रेडियो कार्यक्रम आयोजित
ग्वालियर। हैम रेडियो टेक्नोलॉजी आपदा के समय कारगर सिद्ध होती है। क्योंकि इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से एक राज्य से दूसरे और एक देश से दूसरे देश में सूचनाओं को आसानी से आदान-प्रदान किया जा सकता है। इसके साथ ही पीडि़तों की मदद की जा सकती है। यह बात हैम रेडियो विशेषज्ञ एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जयंत शंकर राव भिडे ने व्यक्त किए। अवसर था शुक्रवार को आईटीएम के इलेक्ट्रोनिक्स एण्ड कम्युनिकेशन विभाग द्वारा आयोजित रिजल्ट डिस्ट्रीव्यूशन प्रोग्राम ऑफ हैम रेडियो का।
इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित एवं पुष्प अर्पित कर किया गया। इस अवसर पर आईटीएम की कुलपति प्रोफेसर वंदना कुशवाह, कुलाधिपति के सलाहकार प्रोफेसर आरडी गुप्ता, डॉ. आरके चतुर्वेदी, डॉ. श्याम आकाशे आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम में श्री भिडे ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं में संचार माध्यम एक अहम भूमिका निभाता है। लेकिन आपदाओं के समय संचार माध्यम व्यवस्था ध्वस्त हो जाती है। इससे सूचनाओं का आदान-प्रदान नहीं हो पाने के कारण कई बार लोगों की जान चली जाती हैं। 'हैम रेडियो टेक्नोलॉजी एक ऐसी कारगर टेक्नोलॉजी है, जो प्राकृतिक आपदाओं के समय भी संचालित रहती है और सूचनाओं को आदान प्रदान करते समय किसी भी प्रकार का अवरोध नहीं होता है। इससे पीडि़तों को समय पर मदद उपलब्ध कराकर उनकी सुरक्षा की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि हैम रेडियो एक वायरलेस सिस्टम है। इस सिस्टम को अपने पास रखने के लिए सरकार की ओर से लाइसेंस मिलता है। यह लाइसेंस उस व्यक्ति को ही दिया जाता है जो सरकार द्वारा आयोजित परीक्षा में खरा उतरता है। परीक्षा पास करने के बाद सरकार उस व्यक्ति को लाइसेंस उपलब्ध कराती है। इसके बाद वह व्यक्ति अपने घर से हैम रेडियो स्टेशन संचालित कर सकता है।
प्रमाण-पत्र किए गए वितरित
रिजल्ट डिस्ट्रीव्यूशन प्रोग्राम के तहत कपिल सोनी, अभिषेक, अनुज, आशीश, अशोक, अविनाश, दीपक, देवेंद्र सिंह, नरेंद्र, प्रेमचंद्र जैन, संजू कुमार, शिवकुमार सिंह, सुमित अग्रवाल, सुनील, तनमय आदि को हैम रेडियो परीक्षा में पास होने पर प्रमाण पत्र वितरित किए गए।