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जाति प्रमाण-पत्रों में अशोकनगर फिसड्डी

अभी भी शेष रहे हैं पचास हजार स्थाई प्र्रमाण-पत्र

अशोकनगर | जिले में स्थाई जाति प्रमाण-पत्र बनने की रफ्तार धीमी है। समय पर प्रमाण-पत्र न बनने के कारण अविभावकों सहित छात्र-छात्राओं को बेवजह परेशान होना पड़ रहा है। खासतौर से महाविद्यालययीन नव प्रवेशी छात्र-छात्राओं की प्रवेश प्रक्रिया में ये प्रमाण-पत्र अब आड़े आ रहे हैं। जिले में स्थाई जाति प्रमाण-पत्र बनाने के लिए आवेदन बीते वर्षों से लोक सेवा केन्द्रों के माध्यम से जमा कराए गए थे मगर इन पत्रों को तैयार होने में अभी और समय लग रहा है। एक जानकारी के मुताबिक जून 15 के आखिरी सप्ताह में भी करीब-करीब 50 हजार से ज्यादा प्रमाण-पत्र बनना शेष रह गए हैं। इन प्रमाण-पत्रों को तैयार कराने के लिए जिले के चारों विकासखण्डों में संचालित हो रहे लोक सेवा केन्द्रों में आवेदन प्रस्तुत किए गए थे। बीते शिक्षा सत्र और शुरू हो रहे शिक्षा सत्र में अब तक चारों केन्द्रों में कुल स्थाई जाति प्रमाण-पत्रों के लिए 1, 43, 501 आवेदन आए हुए थे। जिनमें से 89, 627 प्रमाण-पत्र बनने का दावा जिला लोक सेवा केन्द्र द्वारा किया जा रहा है। जबकि शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा अभी तक स्थायी जाति प्रमाण-पत्र अप्राप्त बताए जा रहे हैं।
ईसागढ़ अव्वल, अशोकनगर फिसड्डी:
जिले में स्थाई जाति प्रमाण-पत्र बनाने के लिए बीते वर्ष से प्रक्रिया शुरू की गई थी। जिसके तहत अनु सूचित जाति, अनु सूचित जन जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, विमुक्त और घुमक्कड़ जाति के स्थाई प्रमाण-पत्र लोक सेवा केन्द्रों के माध्यम से बनाए जाने थे। जिसके लिए लोक सेवा केन्द्र मुंगावली में 37560 में से 20127 बने व 17433 शेष हैं, अशोकनगर में 42211 में से 19194 बने व 23017 शेष हैं। इसी तरह चंदेरी में 31374 में से 20987 बने और 10387 शेष है। जबकि ईसागढ़ में 32356 में से 29319 बने और 3037 लंबित हैं। इन आंकड़ों पर गौर किया जाए तो ईसागढ़़ अब्बल और अशोकनगर सबसे फिसड्डी साबित हुआ है। हांलाकि मुंगावली से बेहत चंदेरी का प्रदर्शन रहा है। यह गति भी तब मिली है जब स्वयं कलेक्टर आरबी प्रजापति द्वारा सतत समीक्षा की जा रही है।
उत्कृष्ट के ढाई सौ से ज्यादा लंबित:
जिला मुख्यालय पर स्थित उत्कृष्ट उमा विद्यालय में स्थाई जाति प्रमाण-पत्रों के बुरे हाल हैं। यहां कक्षा 9 वीं और 11 वीं के छात्रों 387 आवेदन जमा हुए थे। जिनमें से ऑनलाइन दर्शाये जा रहे हैं 310 प्रमाण-पत्र और 48 को निराकृत बताया गया है पर अभी तक संस्था को कोई भी प्रमाण-पत्र प्राप्त नही हुए हैं। जबकि 262 प्रमाण-पत्र अभी लंबित हैं। जिनमें से मात्र 77 का निराकरण ही हुआ है। इस संबंध में बताया जा रहा है कि एक वर्ष के भीतर ये प्रमाण-पत्र संस्था तक पहुंच जाना था। जिला मुख्यालय पर जब ये हाल हैं तो अन्य स्थानों की स्थिति का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

Updated : 25 Jun 2015 12:00 AM GMT
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