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जमानत दी तो समाज में जाएगा गलत संदेश

ग्वालियर | मप्र उच्च न्यायालय की ग्वालियर खण्डपीठ ने डॉ.ऋचा जौहरी ओझा को अग्रिम जमानत का लाभ देने से मना कर दिया । न्यायमूर्ति यूसी माहेश्वरी व न्यायमूर्ति एमसी गर्ग की युगलपीठ ने कहा कि इस फर्जीवाड़े के चलते कई योग्य विद्यार्थी प्री-पीजी में प्रवेश लेने से वंचित रह गए। जमानत का लाभ दिया गया तो समाज में गलत संदेश जाएगा। याची के अभिभाषक ने उच्च न्यायालय कीमुख्यपीठ से मिली अन्तरिम जमानत की अवधि को भी बढ़ाने से मना कर दिया । न्यायालय ने कहा कि अन्तरिम जमानत की अवधि बढ़ाना भेदभाव की श्रेणी में आएगा क्योंकि कई लोग ऐसे ही आरोपों के चलते जेल में बंद हैं।
बयान की पुष्टि की या नहीं?
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने शासकीय अभिभाषक से पूछा कि क्या जांच एजेंसी ने योगेश चन्द्र उपरीत व डॉ. अजय जौहरी द्वारा दिए गए बयानों की जांच की ? इस पर शासकीय अधिवक्ता प्रबल प्रताप सिंह सोलंकी ने बताया कि जांच चल रही है और कई सारी जानकारी एकत्रित करना अभी भी शेष है। बाद में उन्होंने बताया कि फर्जी तरीके से प्री-पीजी में प्रवेश दिलाने के आरोप में रामगोपाल और बृजमोहन को भी गिरफ्तार किया गया है और उन्होंने भी वही बयान दिए हैं जो योगेशचन्द्र उपरीत और डॉ. अजय जौहरी ने दिए हैं।
सात दिन में गिरफ्तार करें
रघुवीर सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने जांच एजेंसी को दलाल इमरान को गिरफ्तार करने के लिए सात दिन का समय दिया। न्यायालय ने कहा कि यदि आप दलाल को गिरफ्तार नहीं कर पाए तो हम इस प्रकरण को गुण-दोष पर निराकृत करेंगे । किसी के गिरफ्तार नहीं होने से सुनवाई को बार-बार टाला नहीं जा सकता।

Updated : 24 Jun 2015 12:00 AM GMT
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