19 करोड़ की योजना फेल, डबरा रह गया प्यासा

टेस्टिंग के दौरान हर बार बस्ट होती है पाइप लाइन
डबरा। डबरा की जनता को सिंध नदी से पर्याप्त पेयजल उपलब्ध हो सके, के लिए केन्द्र सरकार ने 19 करोड़ 10 लाख रुपये की जल आवर्धन योजना डबरा को प्रदान की थी। लेकिन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी इस योजना से पानी के इंतजार में चार साल बाद भी डबरा की जनता प्यासी है तथा निकट भविष्य में भी इस योजना से जनता को पानी मिल पाने के आसार दिखाई नहीं पड़ रहे हैं।
केन्द्र सरकार की जल आवर्धन योजना में 80 प्रतिशत धन केन्द्र द्वारा तथा 10 प्रतिशत धन राज्य शासन का 10 प्रतिशत धन नपा द्वारा दिया गया। इस योजना को 2013 में पूरी होकर जनता को पानी प्रदाय किया जाना था, लेकिन नगर पालिका के अधिकारियों एवं ठेकेदार की मिली भगत से यह योजना गर्त में जाती दिखाई पड़ रही है। इस योजना से घरों में एक बूंद पानी नहीं पहुंचा लेकिन ठेकेदार को खुलकर भुगतान किए जा रहे हैं। इस योजना के विफल होने पर डबरा में जल संकट का खतरा गहराना तय है।
जनता और जनप्रतिनिधि मौन
केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और नगर पालिका के खजाने से डबरा को जन आवर्धन योजना में मिली इस सौगात के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाने पर स्थानीय जनता के साथ ही जनप्रतिनिधि भी मौन बैठे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि छोटी-छोटी बातों पर एक दूसरे का विरोध करने वाले राजनीतिक दल और राजनेता इस महत्वाकांक्षी योजना की दुर्गती पर मौन साधे क्यों बैठे हैं?
जाँच के नाम पर हुई खानापूर्ति
मीडिया द्वारा जल आवर्धन योजना में गड़बड़ी एवं भ्रष्टाचार को उजागर किए जाने पर तात्कालीन एसडीएम अनुराग चौधरी ने इसकी जाँच बैठाई थी। लेकिन इंजीनियरों द्वारा इस योजना को क्लिनचिट देकर आगे बढ़ाया गया। इस योजना में पानी की सप्लाई करते समय इसकी लाइन फंटती रही और पानी सड़कों पर बहते हुए नालों में चला गया।
मिली भगत में हुई लूट!
शासन की योजनाओं के लिए सड़कों पर की जाने वाली खुदाई का पैसा या तो संबंधित निर्माण एजेंसी के खजाने में जमा कराया जाता है अथवा जिस स्थिति में सड़क को खोदा जाता है उसी स्थिति में उसका निर्माण भी ठेकेदार द्वारा ही कराया जाता है। लेकिन डबरा की कोई भी सड़क जल आवर्धन योजना के तहत खोदे जाने के बाद नहीं बनाई गई है। सूत्र बताते हैं कि जो भी सड़कें एवं सीसी जल आवर्धन योजना की खुदाई के बाद डाली गई हैं। उनका भुगतान नगर पालिका द्वारा अपने खजाने से किया गया है।
