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छाए रहे बादल उमस बरकरार

अशोकनगर | शुक्रवार को दिनभर आसमान में बादल छाए रहे। शाम को हल्की बूंदाबांदी भी हुई। इससे फिजाओं में उमस बढ़ गई और लोगों ने बैचेनी महसूस की। मौसम विभाग इसे मानसून से पहले की सक्रियता बता रहा है। एक-दो दिन में बारिश की संभावना भी जताई जा रही है। मानसून की आमद की संभावना से बाजार में खरीदी और खेतों में हलचल तेज हो गई है।
पिछले दो-तीन दिनों से आसमान में बादल छाए हुए हैं। बीच-बीच में रिमझिम बूंदाबांदी भी हुई। इससे तापमान में मामूली गिरावट आई है, जिससे लोगों को तीखी धूप की चुभन से निजात तो मिली लेकिन उमस बढऩे से बेकरारी और चिपचिपाहट भरी गर्मी से लोग परेशान दिख रहे हैं। अप्रैल और मई माह में लू-लपट सहने करने के बाद अब लोगों को मानसून की बारिश का इंतजार है। उम्मीद है कि जिले को जून के दूसरे सप्ताह में मानसून की तेज बौछारें सराबोर कर सकती हैं। शनिवार को दिनभर आसमान मेें बादल छाए रहे। बीच-बीच में कुछ-कुछ समय के लिए धूप निकली तो इसका तीखापन पहले की तरह ही बरकरार रहा। शाम को ठंडी हवाओं के साथ मामूली बंूदाबांदी ने मौसम में ठंडक घोलने की कोशिश की लेकिन हल्की बारिश होने के कारण उमस और भी बढ़ गई है।
बाजार और खेतों में बढ़ी चहल-पहल
मानसून की आमद की संभावना बढऩे के साथ ही बाजार में खरीददारी का दौर शुरू हो गया है। किसान खाद-बीज खरीदी के लिए बाजार में पहुंच रहे हैं। वहीं खेती से जुड़े अन्य उपकरण की खरीदी भी की जा रही है। इसके अलावा लोग पशु, ईंधन आदि के इंतजाम के लिए टीन की चादर, बरसाती पन्नी, लकड़ी आदि भी खरीद रहे हैं। बाजार में व्यापारी भी मानसूनी मार्केट को लेकर तैयारी कर चुके हैं जिसके तहत टार्च, रेनकोट, छतरी, जूते आदि से मार्केट भरा पड़ा है। सबसे अधिक तैयारी बरसाती बेंचने वाले व्यापारियों ने की है। जो कि बड़ी मात्रा में स्टॉक जमा कर चुके हैं। बाजार के अलावा खेतों में भी किसान काम करते हुए नजर आने लगे हैं। बुवाई से पहले खेतों में जुताई की जा रही है।
धान की पौध तैयार
जिले की पहचान शरबती गेहूं और सोयाबीन के कारण है लेकिन अब जिले में धान का रकबा भी लगातार बढ़ता जा रहा है। शुरूआत में केवल पंजाब से आए हुए सिख और पंजाबी समुदाय के लोग धान की खेती करते थे लेकिन अब अन्य किसानों का रुझान भी इस ओर बढ़ा है। अशोकनगर और मुंगावली ब्लॉक में धान का रकबा साल दर साल बढ़ता जा रहा है। इस बार भी किसानों ने धान की पौध तैयार कर ली है। झमाझम बारिश के बाद इन्हें खेतों में रोपा जाएगा।

Updated : 13 Jun 2015 12:00 AM GMT
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