भगवान बुद्ध के विचारो से ही दुनियाँ मे शांति संभव: मोदी

भगवान बुद्ध के विचारो से ही दुनियाँ मे शांति संभव: मोदी

नई दिल्ली। भगवान बुद्ध की जयंती बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि भगवान बुद्ध के विचारो से ही दुनिया मे शांति संभव है। भगवान बुद्ध का मार्ग युद्ध से मुक्ति का मार्ग है। उन्होंने कहा कि आज जब पूरी दुनिया संकट से गुजर रही है, विश्व का एक भूभाग रक्तरंजित है, ऐसे में बुद्ध की प्रासंगिकता और उनके बताये मार्गों को अपनाना और अधिक आवश्यक हो जाता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत बुद्ध की जन्मस्थली नेपाल में आये भयावह भूकंप के प्रति अपनी पीडा व्यक्त कर कि उन्होंने कहा कि कि हमारा प्यारा नेपाल आज बहुत बडे संकट से गुजर रहा है और इससे उत्पन्न यातना कितनी भयंकर होगी, इसकी कल्पना करना मुश्किल है। कार्यक्रम के उद्धाटन के बाद एक प्रार्थना सभा में भगवान बुद्ध के जन्मस्थल नेपाल, भारत और तिब्बत में आए विनाशकारी भूकंप त्रासदी के पीडितों के लिए प्रार्थना की गई और उनके साथ एकजुटता दिखाते हुए हरसंभव मदद का संकल्प लिया जाएगा।
ज्ञातव्य है कि मोदी सरकार ने इस बार बुद्ध पूर्णिमा को सरकारी स्तर पर मनाने का फैसला करते हुए दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में इस कार्यक्रम का आयोजन किया है। कार्यक्रम में बौद्ध धर्म को मानने वाले देशों के राजदूतों के साथ-साथ देश-विदेश के बुद्धिस्ट विद्धान भाग ले रहे हैं। इस कार्यक्रम में 31 देशों के प्रतिनिधि मौजूद हैं।
यह तीसरा मौक़ा है जब बुद्ध पूर्णिमा पर सरकार ने बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया है। सबसे पहले जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने 2500वीं बुद्ध जयंती पर बोधगया में बड़े सरकारी कार्यक्रम का आयोजन किया था और उसके बाद कुशीनगर में 2007 में महात्मा बुद्ध के 2550वें परिनिर्वाण दिवस पर सरकार ने कार्यक्रम का आयोजन किया था।
इस समारोह में यहां स्थित बौद्ध स्तूप को बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं को समर्पित एक केंद्र के रूप में विकसित किए जाने संबंधी महत्वाकांक्षी प्रस्ताव पर भी चर्चा की जाएगी। कार्यक्रम समिति के अध्यक्ष व गृह राज्य मंत्री किरन रिजीजू ने रविवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय हमेशा नेतृत्व के लिए भारत की ओर देखता आया है क्योंकि यही वह देश है जहां बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और यहीं पर उनका जन्म हुआ था।
उन्होंने इस बात पर अफसोस जाहिर किया कि बुद्ध पूर्णिमा को मनाने के लिए अब तक बहुत कम प्रयास या सरकार की ओर से कम पहल की गई। उन्होंने कहा कि आगे से बुद्ध पूर्णिमा पर वाषिर्क समारोहों का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह इस साल से शुरू होने जा रहा है। नेतृत्व संभालना भारत की जिम्मेदारी है। बौद्ध राष्ट्र इस नेतृत्व के लिए भारत की ओर देखते हैं।
यहां यमुना नदी के किनारे बौद्ध स्तूप को दुनियाभर के लोगों के आकषर्ण का केंद्र बनाने के प्रस्ताव के बारे में उन्होंने कहा कि योजना के क्रियान्वयन के लिए समिति गठित की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस संबंध में प्रधानमंत्री से विचार विमर्श किया जाएगा।
रिजीजू ने कहा, ‘हम यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि यह भगवान बुद्ध के जीवन को समझने का केंद्र बने। हम इसे एक ऐसा स्थान बनाना चाहते हैं कि भारत यात्रा पर आने वाला हर व्यक्ति इसे देखना चाहेगा।’ बौद्ध परंपरा में नेपाल स्थित लुम्बिनी को बुद्ध का जन्म स्थान माना जाता है।

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