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जनमानस


झोलाछाप डॉक्टरों का कारोबार

लंबे समय से यह समाचार चर्चा का विषय बना रहा है। वह है बाबा रामदेव द्वारा बेची जा रही पुत्रजीवक दवा। हमारे समाज के शिक्षित और अशिक्षित, दोनों तबके इस संकीर्ण मानसिकता के शिकार हैं कि घर में एक पुत्र तो होना ही चाहिए। यही कारण है कि आज अनेक बाबाओं, झोलाछाप डॉक्टरों का कारोबार फल-फूल रहा है। यही नहीं, गर्भ में बच्चे की लिंग जांच का अवैध धंधा चोरी-छिपे इसीलिए चल रहा है। हाल ही में इस कारण राजौरी गार्डन में एक अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया गया। समाज के कुछ पढ़े-लिखे लोग भले ही लड़कियों को लेकर भेदभाव न करते हों, लड़कियों को उच्च शिक्षा के अवसर दे रहे हों, किंतु पुत्र मोह उनका भी खत्म नहीं हुआ है। लोग कहते हैं कि बेटा होगा, तो बुढ़ापे में हमारा साथ देगा, हमारा वंश आगे बढ़ेगा, बेटी तो शादी के बाद अपने घर चली जाएगी, फिर इस घर को और हमें संभालने वाला कौन होगा? आवश्यकता है इस मानसिकता को जल्द से जल्द बदलने की।

कृष्णमोहन ओझा

Updated : 28 May 2015 12:00 AM GMT
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