ज्योतिर्गमय
छोटा सा प्रयास
एक आदमी रोज नियम से समुद्र तट पर जाता और वहां बैठकर आती-जाती लहरों को लगातार देखता रहता। बीच-बीच में वह उठता, कुछ उठाकर समुद्र में फेंकता और वापस आकर अपनी जगह पर बैठ जाता। उसका यह क्रम काफी देर तक चलता रहता। आते-जाते लोग उसे पागल समझते और उसका उपहास उड़ाते। वह इन सब बातों से बेखबर समुद्र में थोड़ी-थोड़ी देर बाद कुछ न कुछ उठाकर फेंकता रहता। मगर एक दिन एक यात्री ने उसको ध्यान से देखा। उसने देखा कि वह आदमी पहले तो कुछ देर शांत खड़ा लहरों को आते-जाते देख रहा था, थोड़ी देर के बाद उसने समुद्र में कुछ फेंकना शुरू कर दिया।
पहले तो यात्री को भी आम लोगों की तरह लगा कि शायद वह मानसिक रोगी है, लेकिन फिर भी उसके मन में उत्सुकता हुई कि क्यों न इसी आदमी से पूछा जाए कि वह क्या कर रहा है? आखिर उसका मकसद क्या है? वह उसके पास गया और उसने पूछा, 'भाई, तुम क्यों इस तरह बार-बार समुद्र में कुछ फेंक रहे हो?' उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, 'देखते नहीं, समुद्र बार-बार अपनी लहरों से घोंघों, मछलियों और शंखों को जमीन पर पटक कर मार रहा है। मैं इन्हें वापस समुद्र में फेंक कर इनकी जान बचाने की कोशिश कर रहा हूं।' यात्री ने हंसते हुए कहा, 'अरे भाई, यह तो प्राकृतिक नियम है।
समुद्र लहरों से जीवों को उठाकर बाहर ही फेंकता है। इसमें हम और आप क्या कर सकते हैं?' उस व्यक्ति ने मु में मछलियों, घोंघों और शंखों को भरा और उठाकर वापस समुद्र में फेंकते हुए कहा, 'आपने देखा नहीं, कम से कम इतने जीवों का जीवन तो मैं बचा पाया।' वह यात्री यह सुनकर हतप्रभ रह गया। वह सिर झुकाकर चल पड़ा। रास्ते में वह सोच रहा था कि एक अच्छे कार्य के लिए छोटा सा प्रयास भी काफी होता है। छोटे-छोटे प्रयास से ही हम बड़े लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। सनकी दिखने वाले शख्स ने उसकी सोच बदल दी थी।