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जनमानस

नगर निगम का विवेकहीन निर्णय

ग्रामीण कहावत है कि 'घर के पंच बधीना तीनै की' उक्त कहावत नगर निगम पर सही चरितार्थ हो रही है। परिषद ने सम्पत्ति कर में जो 30-40 प्रतिशत वृद्धि का निर्णय लिया है वह गरीब व मध्यम वर्ग के लिए उचित नहीं है। नगर निगम को यदि आय ही बढ़ानी थी तो अच्छा होता कि सर्वे करवा कर जिन सम्पन्न लोगों ने तीन-तीन मंजिल तक मकान बनवा लिए हैं और वर्षों से किराएदार रखकर हजारों रुपए किराया वसूल रहे हैं तथा सम्पत्ति कर के नाम पर एक मंजिल का अथवा समेकित कर दे रहे हैं। यदि ऐसे लोगों से कर बढ़ा कर लिया जाता तो उचित होता। पहले न्यूनतम सम्पत्ति कर 90 रुपए था। फिर दो गुना कर 180 रुपए किया उसके बाद तीन गुना करके 600 रुपए कर दिया फिर भी क्षतिपूर्ति नहीं हो पा रही है। अच्छा हो कि सर्वे करा कर सम्पन्न लोगों से भवन निर्माण के हिसाब से सम्पत्ति कर लिया जाए तथा हजारों की संख्या में जो लोग जल कर नहीं दे रहे हैं उनसे भी जल कर वसूली की जाए तो सम्पत्ति कर बढ़ाने की जरुरत ही न पड़ती। अच्छा हो कि नगर-निगम के अधिकारी कर्मचारी ईमानदारी से कार्य करके नगर निगम की आय बढ़ाएं नहीं तो वही हुआ कि बहुमत है तो कुछ भी निर्णय लो।

महेश सिंह राजावत

Updated : 30 April 2015 12:00 AM GMT
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