नेताजी संबंधी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने पर मोदी ने उच्च स्तरीय समिति गठित की
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नई दिल्ली । नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से जुड़ी गोपनीय और संवेदनशील फाइलों को उजागर करने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। सूत्रों के अनुसार यह उच्चस्तरीय समिति इस बात का फैसला करेगी की गोपनिय फाइलों को कब कैसे और कितनी मात्रा में सार्वजनिक किया जाये। केबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली समिति में गृहमंत्रालय, खुफिया ब्यूरो(आईबी), विदेश खुफिया संस्था (रॉ) और प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारी शामिल होंगे।समझा जाता है कि नेताजी संबंधी गोपनीय फाइलों की संख्या 100 से 150 के बीच है तथा यह फाइलें गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के संदूकों में बंद है। हालांकि अभी सरकार ने समिति के गठन के बारे में अधिकारिक विज्ञप्ति जारी नही की है।समिति इन फाइलों से जुड़े विभिन्न पहलुओं और इनके सार्वजनिक होने से पड़ने वाले असर का लेखा-जोखा लेगी। उल्लेखनीय है कि देश के आज़ाद होने के बाद भी दशकों से इन फाइलों को गोपनीयता कानून के नाम पर उजागर नही किया गया है। नेताजी के परिवारवालों, शोधकर्ताओं और सूचना अधिकार कार्यकर्ताओं के बार-बार आग्रह पर भी सरकार ने फाइलों को उजागर करने से इंकार कर दिया है। सरकार का तर्क है कि फाइलों में ऐसी जानकारी है कि जिससे विभिन्न देशों से संबंधों पर असर पड़ सकता है।नेहरु सरकार द्वारा वर्ष 1948 से 1968 तक नेताजी के परिवारवालों पर जासूसी कराये जाने के खुलासे के बाद गोपनीय फाइलों को उजागर करने की मांग ने और तूल पकड़ा। नेताजी के प्रपोत्र सूर्य कुमार बोस ने इस संबंध में जर्मन यात्रा पर गये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात कर नेताजी संबंधी रहस्य से पर्दा उठाने के लिये पहल करने का आग्रह किया।सूर्य बोस ने मोदी सरकार द्वारा उच्च स्तरीय समिति गठित किये जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा कि वह बहुत खुश हैं कि श्री मोदी ने इस मामले में हस्ताक्षेप किया। सरकार ने जिस तेजी से काम किया है वह सराहनीय है। अब देर सवेर सच्चाई देशवासियों के सामने आ जायेगी।