प्रदेश के 10 हजार स्कूलों की मान्यता खतरे में


भोपाल। प्रदेश के 10 हजार हाई और हायर सेकंडरी स्कूलों की मान्यता खतरे में है। इनमें सरकारी स्कूल भी शामिल हैं। उधर, स्कूल शिक्षा विभाग ने अभी तक मान्यता नवीनीकरण और नवीन मान्यता के निर्देश जारी नहीं किए हैं। ऐसे में स्कूलों को मान्यता समय पर नहीं मिलने से प्रवेश प्रक्रिया भी प्रभावित होगी।
स्कूलों को मान्यता देने के मामले में स्कूल शिक्षा विभाग निर्धारित समय से छह माह पीछे चल रहा है। जब मान्यता देने का जिम्मा मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल के पास था। तब प्रक्रिया अक्टूबर में शुरू हो जाती थी। जबकि इस बार मान्यता प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश तक जारी नहीं हुए हैं। इस बार मान्यता जिला स्तर पर दी जाना है।
लिहाजा, स्कूल संचालक परेशान हैं। उन्हें डर है कि पर्याप्त समय न मिलने पर मान्यता प्रक्रिया के पालन में दिक्कतें आएंगी और ऐसे में वे मान्यता से वंचित भी हो सकते हैं। इसका कारण यह भी है कि समय सीमा में प्रकरणों का निराकरण करने के लिए अधिकारी जल्दबाजी करेंगे।

प्रदेश में कुल स्कूल


स्कूल हाईस्कूल हायर सेकंडरी
प्राइवेट 2,900 2,676
सरकारी 3,950 3,533
कुल 6,850 6,209


31 जुलाई के बाद मान्यता नहीं
स्कूल संचालकों का कहना है कि 31 मार्च को करीब 10 हजार स्कूलों की मान्यता खत्म हो चुकी है। यदि इन स्कूलों को 15 जून से पहले मान्यता नहीं मिली तो वे विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं दे सकेंगे और इतने कम समय में मान्यता मिलने में संदेह है। नियमानुसार 31 जुलाई के बाद किसी भी स्कूल को मान्यता नहीं दी जा सकती है। बल्कि हाईकोर्ट की गाइडलाइन के तहत अपील के प्रकरण भी 12 अगस्त तक निपटाना अनिवार्य है। उल्लेखनीय है कि शासन ने इस साल से मान्यता देने की जिम्मेदारी कलेक्टरों को सौंप दी है। पिछले साल यह काम संभागीय संयुक्त संचालकों के पास था।
ऐसी रहती थी व्यवस्था
मंडल शैक्षणिक सत्र 2015-16 के लिए मान्यता की प्रक्रिया अक्टूबर 2014 में शुरू करता। इसी नियम को पिछले साल स्कूल शिक्षा विभाग ने भी अपनाया। संभागीय संयुक्त संचालकों ने अक्टूबर में ही मान्यता के आवेदन लिए थे। फिर भी करीब 600 स्कूलों की मान्यता अटकी रही, जिसकी पूर्ति अब की जा रही है। यह प्रकरण अपील में आए थे। प्रक्रिया के मुताबिक अक्टूबर में आवेदन लिए जाते हैं और नवंबर से जनवरी तक स्कूलों का निरीक्षण होता है। फरवरी में जांच रिपोर्ट का परीक्षण कराने के बाद मंडल मार्च से मान्यता जारी करता था।


निरीक्षण में लगता है वक्त
नवीन मान्यता या मान्यता नवीनीकरण के आवेदन करने वाले स्कूलों का निरीक्षण जिले का राजस्व अमला करता है। इस अमले को स्कूलों के निरीक्षण के अलावा भी काम होते हैं। इसलिए निरीक्षण प्रतिवेदन कभी भी समय से नहीं आते। इस वजह से स्कूलों के निरीक्षण में सबसे अधिक वक्त लगने की आशंका है।

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