जनमानस

कैसे निभेगा यह केर-बेर का संग



जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन की सरकार अच्छे सोच को साकार करने की जगह पीडीपी की पाकिस्तान परस्ती को बढ़ावा देने वाली सिद्ध हो रही है। मतदान में जम्मू को जीतने वाली भाजपा कहीं सत्ता में जम्मू को हारने का कारण न बने इसका प्रधानमंत्री को ख्याल रखना होगा। मुफ्ती मोहम्मद सईद कश्मीर की चाहत में जम्मू को दरकिनार कर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री होने की अपनी हैसियत को ही नष्ट कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव मोदी नेतृत्व का आदर्श उदाहरण था और पूरे देश के लिए गर्व का विषय परंतु जम्मू-कश्मीर के चुनाव के लिए मुफ्ती पाकिस्तान और आतंकवादियों को धन्यवाद दे रहे हैं वो भी भाजपा के साथ सरकार बनाने के बाद और प्रतिक्रिया में गृहमंत्री व प्रधानमंत्री का संसद में यह कहना कि इन विचारों से हमारा कोई लेना-देना नहीं है निश्चित रूप से मजबूरी का औचित्यहीन विश्लेषण ही कहा जायेगा। सरकार में बराबर की भागीदारी के बाद भाजपा अपने को अलग दिखाने की कोशिश कैसे कर सकती है। पीडीपी ने अफजल गुरु के अवशेष मांगकर तो भाजपा की राष्ट्रभक्ति और देशवासियों के राष्ट्रप्रेम पर करारा तमाचा ही जड़ दिया है। बर्दाश्त के बाहर व्यवहृत हुये ये दो बयान भाजपा-पीडीपी गठबंधन की सरकार के छह साल तो छोडिय़े एक पल के कट जाने को भी मोदी-नेतृत्व के घोर आश्चर्य को प्रकट करते हैं। निश्चित रूप से इस केर-बेर का संग निभना मुश्किल है।

हरिओम जोश, भिंड

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