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'नो ओवरटेक जोन' ट्रेफिक जाम से मुक्ति 

भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों को 'नो ओवरटेक जोन' घोषित करके वर्तमान में देश की महत्वपूर्ण समस्याओं में शुमार 'ट्रेफिक जाम' में सुधार किया जा सकता है। कुछ निश्चित क्षेत्रों में विशेष परिस्थितियों को छोड़कर ओवरटेक करना पूरी तरह प्रतिबंधित होना चाहिए। निगरानी का कार्य सी.सी.टी.व्ही. के माध्यम से किया जा सकता है। अव्यवस्थित ट्रेफिक व्यवस्था केवल प्रशासन की ढुलमुल नीतियों की ओर ही इशारा नहीं करती है, बल्कि उस शहर के लोगों के स्वभाव एवं चरित्र के बारे में भी इंगित करती है। ट्रेफिक जाम की समस्या कितनी भयावह है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आजकल 'ऑनलाइन शॉपिंग' के बढ़ते रूझान का एक प्रमुख कारण ट्रेफिक जाम भी माना जा रहा है। वाहनों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए ठोस प्रयास किये जाने चाहिए। इसके लिए एक से अधिक वाहन खरीदने की प्रक्रिया को जटिल बनाया जा सकता है। साथ ही एक निर्धारित अवधि के पहले के वाहनों के चलने पर भी रोक लगाई जा सकती है। क्या आपने संजीदगी से कभी ट्रेफिक जाम के दुष्परिणामों के बारे में सोचा है? समय पर अस्पताल न पहुंच पाने के कारण कई लोगों की जान तक चली जाती है। काश ! ट्रेफिक जाम में बर्बाद समय का सदुपयोग हम और कहीं कर पाते। प्रो. एस. के. सिंह, ग्वालियर

Updated : 2 March 2015 12:00 AM GMT
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