भारतीय राजस्व सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियो ने राष्ट्रपति से की भेंट

नई दिल्ली । भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारियों को अपने विचारों, कल्पना और तर्क का उपयोग देश की सेवा में करने का आहवान करते हुये राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि अच्छी जन नीतियां जरूरी है लेकिन इसका क्रियान्वयन काफी नाजुक है। उन्होंने कहा कि नौकरशाहों में कौशल और ज्ञान के साथ साथ सही मान्यताओं का होना जरूरी है, जिसमें अखण्डता, लोकसेवा की भावना और सबसे उपर भारतीय संविधान के आदर्श और सिद्धांत के प्रति प्रतिबद्धता शामिल है।
भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के 68वें बैच के 182 आईआरएस प्रशिक्षु ने कल राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति मुखर्जी से मुलाकात की थी। इस अधिकारियों में दो अधिकारी भूटान सरकार के भी है।
मुखर्जी ने राजस्व विभाग से अपना 1970 से 2012 तक अपने जुडाव का जिक्र करते हुये कहा कि उन्होंने इस विभाग को वर्षों से आगे बढ़ते और इसकी कायापलटते हुये देखा है। यह करदाताओं को बेहतर कर संबंधी सेवाएं प्रदान करता है।
राष्ट्रपति ने बताया कि 1860-61 में प्रत्यक्ष कर का संग्रह 30 लाख रूपये था जो 2015-16 में बढ़कर 7.78 लाख करोड़ रूपये हो गया है। इससे संकेत मिलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रत्यक्ष कर की भागीदारी और ढ़ांचागत परिवर्तन हुआ है।

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