जनमानस
राष्ट्र विरोधी हिमाकत से बाज आए पीडीपी
हिन्दी में एक मुहावरा है। ''पूत के पांव पालने में ही नजर आने लगते हैं।'' इस मुहावरे का अर्थ शायद ही ऐसा कोई होगा जिसे यह समझ में नहीं आया हो। लेकिन सबसे बड़ी आश्चर्य की बात तो यह है कि यह मुहावरा भारत की सबसे बड़ी और सुलझी हुई राजनीतिक पार्टी भाजपा क्यों नहीं समझ पाई। परिणाम स्वरूप उसने पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर की राष्ट्रद्रोही मानसिकता वाले पीडीपी से हाथ मिला कर उसे सत्ता सौंप दी।
सत्ता पर काबिज होते ही उसने अपना रंग बदलना शुरु कर दिया है। पद संभालते ही उसने जम्मू-कश्मीर के चुनाव की शांतिपूर्ण सफलता का पूरा श्रेय पाकिस्तान एवं वहां के आतंकी संगठन तथा कश्मीर में ही रह रहे भारत विरोधी संगठन हुर्रियत को दिया है। अब वह भारत के उस दुर्दान्त आतंकवादी अफजल के शव की मांग कर रहा है जिसने हमारे लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन पर हमला कर भारत की अस्मिता से खिलवाड़ करने की हिमाकत की थी।
हालांकि हमारे प्रधानमंत्री ने पीडीपी की इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया है। लेकिन तिहाड़ जेल में दफन आतंकी अफजल का शव हमें यह सोचने पर बाध्य करता है कि हमने जिस आतंकी को अपनी सरजमीं पर सांस लेने लायक नहीं छोड़ा उसके शव को इतनी हिफाजत से यहां दफन कर क्यों रखा है जो मर कर भी एक विवाद को जन्म दे रहा है। हमें स्मरण होना चाहिए कि विगत वर्ष अमेरिकी फौज ने पाकिस्तान में घुस कर उसके चिर-प्रतीक्षित विश्व के सबसे बड़े खूंखार आतंकी लादेन को कुत्ते की मौत मारा था। यह भी एक चिंतन का विषय है कि उसके मारे जाने के इतने लम्बे अन्तराल में आज तक उसके शव की मांग किसी ने नहीं की, इसका एक मात्र यह कारण है कि अमेरिका ने लादेन को मारने के बाद उसके शव को समुद्र में डुबो कर बांस के साथ बांसुरी को भी समाप्त कर दिया था।
इस दिशा में हमें भी अमेरिका से कुछ ऐसी ही सीख लेने की आवश्यकता है। आतंकी चाहे जिन्दा रहे या मुर्दा विवाद का कारण आज नहीं तो कल बनेगा ही हमें भी इनके साथ कुछ ऐसा करना होगा जिससे यह विवाद हमेशा के लिए समाप्त हो जाए। देश को स्पष्ट रूप से यह बताना होगा कि चाहे वह कोई भी क्यों न हो जो भी हमारे राष्ट्र की अस्मिता को खतरे में डालेगा उसका यहां जिन्दा रहना मुमकिन नहीं है, देश को यह भी बताना होगा कि राष्ट्र उन लोगों को भी कभी माफ नहीं करेगा जो देश में रह कर राष्ट्र विरोधी तत्वों को हवा दे कर सत्ता सुख की कामना करते हैं। पीडीपी को पुन: इस बात का स्मरण दिलाना होगा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा। पीडीपी को अपनी राष्ट्र विरोधी हिमाकत से बाज आना चाहिए।
प्रवीण प्रजापति, ग्वालियर