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जनमानस

देश की आबादी न रहे सूचनाओं से वंचित



मोबाइल फोन आज सिर्फ बातचीत और संदेशों के आदान-प्रदान का साधन मात्र नहीं है। संचार तकनीक के तीव्र विकास और स्मार्ट फोन के बढ़ते प्रचलन के कारण मोबाइल फोन खरीद-फरोख्त, बैंकिंग और सूचना प्राप्त करने का जरिया भी बन गया है। ई-गवर्नेस के 18वें राष्ट्रीय सम्मेलन को ट्विटर से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सही ही कहा है कि विशेषज्ञों और नीति-निर्धारकों को मोबाइल के माध्यम से अधिक-से-अधिक सेवाएं मुहैया कराने की दिशा में प्रयासरत होना चाहिए। शासन और सेवाओं को लोगों से इंटरनेट के माध्यम से जोडऩे की कोशिश कई वर्षो से की जा रही है। मोदी सरकार ने भी समाज को संचार तकनीक से सशक्त करने के लिए डिजिटल इंडिया का लक्ष्य निर्धारित किया है। मोबाइल पर मोदी के जोर देने के वाजिब कारण हैं। भारत 2017 तक स्मार्ट फोन के बाजार के हिसाब से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन जायेगा। पिछले वर्ष देश में जनवरी से सितंबर के बीच तकरीबन छह करोड़ स्मार्ट फोन की बिक्री हुई है। 2014 में ही अनेक राज्यों में ई-गवर्नेस से जुड़े कई कार्यक्रम शुरू किये गये, जिनमें संपत्ति का पंजीकरण, पेंशन पोर्टल, प्राथमिकी दर्ज कराना आदि प्रमुख हैं। इनके अलावा करों की अदायगी, रसोई गैस बुकिंग, बैंकिंग सेवाओं आदि में पहले से ही डिजिटल तकनीक का प्रयोग हो रहा है। देश की 15 फीसदी आबादी तक ही इंटरनेट की पहुंच है, ऐसे में मोबाइल पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। इसके अलावा, आज भी हर तिमाही लगभग पांच करोड़ साधारण फोन बिकते हैं। ई-गवर्नेस की सफलता के लिए सस्ते दर पर इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं की उपलब्धता पर भी ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही, सरकार और संबंधित संस्थाओं को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आधुनिक सुविधाओं के अभाव में देश की बहुत बड़ी आबादी सेवाओं और सूचनाओं से वंचित न रह जाये।
अन्वेश गुप्ता, सिकंदर कंपू, ग्वालियर

Updated : 3 Feb 2015 12:00 AM GMT
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