पत्रकारिता के मूल्यों को बनाए रखें: राज्यवद्र्धन

पत्रकारिता के मूल्यों को बनाए रखें: राज्यवद्र्धन
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  • राकेश शर्मा



कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने भारतीय सेना के विभिन्न क्षेत्रों में सेवा करते हुए खेलों में भारत का नाम रोशन किया और उसके बाद राजनीति में आकर जनता की सेवा करने के लिए प्रेरित हुए। भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में उन्होंने जयपुर ग्रामीण सीट से लोकसभा चुनाव जीता और प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में राज्यमंत्री का प्रभार सौंपा। प्रस्तुत है स्वदेश के दिल्ली स्थित ब्यूरो प्रमुख से हुई उनकी विशेष मुलाकात के दौरान बातचीत के कुछ प्रमुख अंश।

प्रश्न:- आपकी सरकार एवं आपका मंत्रालय प्रेस की आजादी में कितना यकीन रखता है।
उत्तर:- पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया सहित कई नए माध्यम आने से मीडिया की आजादी और उनके दायित्व के मायने बदले हैं। हमारी सरकार मीडिया की आजादी की समर्थक रही है और इसी दिशा में काम करती रहेगी। साथ ही हम मीडिया से भी उम्मीद करते हैं कि वो पूरी जिम्मेदारी के साथ निष्पक्ष और तथ्य-आधारित पत्रकारिता करें। पत्रकारिता के मूल्यों को बनाये रखें।
प्रश्न:- सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय अपनी योजनाओं से देशवासियों के लिए शिक्षा का माध्यम बन सकता है, क्या इस दिशा में कुछ प्रयास चल रहे हैं।
उत्तर:- सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय अपनी विभिन्न मीडिया यूनिट्स के जरिए समाज के हर वर्ग और देश के कोने कोने तक सरकार की योजनाओं की जानकारी नियमित रूप से पहुंचाता रहा है। समय-समय पर शिक्षाप्रद कार्यक्रमों का प्रसारण कर दूरदर्शन और आकाशवाणी अपने दर्शकों और श्रोताओं का ज्ञान बढ़ाते हैं। इसके साथ ही हमारी फील्ड पब्लिसिटी यूनिट दूर-दराज तक सरकार की योजनाओं की जानकारी पहुंचाती है। मंत्रालय का न्यू मीडिया विंग इंटरनेट-फ्रेंडली लोगों को जोडऩे का जरिया है। कम्युनिटी रेडियो भी शिक्षा की ओर मंत्रालय की एक पहल है जिसमें आने वाले दिनों में हमें काफी संभावनाएं दिख रही हैं।
प्रश्न:-देश में आंचलिक एवं क्षेत्रीय समाचार पत्रों की अपेक्षा पर मंत्रालय क्या कर रहा है।
उत्तर:- मैं इस बात से बिल्कुल सहमत हूं कि क्षेत्रीय अखबारों और पत्रिकाओं की देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए उनको बढ़ावा भी दिया जाना चाहिए। सोशल मीडिया के आने से रीजनल अखबारों के ई-वर्जन खूब पढ़े जा रहे हैं जो एक अच्छा संकेत है। हमारी मीडिया यूनिट रजिस्ट्रार ऑफ इंडिया देशभर के पब्लिकेशन के रजिस्ट्रेशन का काम करती है और रीजनल प्रकाशनों के बढ़ते रजिस्ट्रेशन के आंकड़ों को देखकर मुझे यकीन है कि इस सेगमेंट का भविष्य और अच्छा रहेगा।
प्रश्न:- प्रिंट एवं टेलीविजन क्षेत्र में बड़े-बड़े पूंजीपतियों एवं विदेशी पूंजी का दखल बढ़ता ही जा रहा है, इस पर आपका मंत्रालय कैसे लगाम कसेगा?
जैसा कि मैंने कहा कि हमारी सरकार मीडिया की आजादी की पक्षधर है और ये मीडिया की जिम्मेदारी है कि वो पत्रकारिता के मूल्यों को गिरने न दें। अगर बड़े पूंजीपतियों और विदेश का पैसा मीडिया हाउसेज में लगेगा तो जाहिर है कि खबरों को कवर करने में पक्षपात होगा और, ऐसे में निष्पक्ष पत्रकारिता मुश्किल में होगी। हमारी सरकार इस बात का ख्याल रखेगी कि जनतंत्र के इस चौथे खंबे की मजबूती बनी रहे और ये अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाए।
प्रश्न:- सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने के संबंध में आपकी क्या राय है?
उत्तर:- पिछले कुछ वर्षों में देश की जनता के हाथ जो सबसे बड़ी ताकत आई है वो सोशल मीडिया ही है जिसने डेमोक्रेसी को मजबूती दी है। सोशल मीडिया ने हर किसी को अपनी राय रखने, अपनी राय सरकार तक पहुंचाने और एक हद तक खुद ही पत्रकारिता करने की ताकत दी है। सोशल मीडिया भी एक वॉचडॉग की तरह बनकर उभर रहा है। ऐसे में उस पर अंकुश लगाने की बात से मैं सहमत नहीं हूं। हमारा मंत्रालय खुद लोगों तक पहुंचने के लिए सभी मंत्रालयों को सोशल मीडिया का उपयोग करने के लिए प्रेरित कर रहा है। सोशल मीडिया एक कम्यूनिकेशन के माध्यम के तौर पर धीरे-धीरे उभर रहा है, इसलिए इसकी खामियां भी वक्त के साथ दूर होती जाएंगी।
प्रश्न:-क्या सरकार मंत्रालय के विभिन्न विभागों जैसे डीएवीपी, आरएनआई और दूरदर्शन की कार्य-प्रणाली में पारदर्शिता लाएगी
उत्तर:- आरएनआई में पब्लिकेशन के एनुअल स्टेटमेंट के ई-फाइलिंग की प्रक्रिया शुरू की गई है। साथ ही टाइटल वेरिफिकेशन और रजिस्ट्रेशन के काम में भी ऑनलाइन सिस्टम के जरिए पारदर्शिता लाई जा रही है। जुलाई, 2014 से आरएनआई में एप्लिकेशन स्टेटस की जानकारी भी पब्लिशर को एसएमएस और ईमेल के जरिए भेजी जा रही है। हमारी सभी मीडिया यूनिट्स की तमाम जानकारियां उनकी वेबसाइट पर नियमित रूप से अपलोड की जाती हैं।
प्रश्न:- सेंसर बोर्ड के सदस्यों के इस्तीफे पर आपको क्या कहना है। क्या ये सब राजनीतिक साजिश है?
उत्तर:- सेंसर बोर्ड एक ऑटोनॉमस बॉडी है जिसमें सूचना प्रसारण मंत्रालय का कोई हस्तक्षेप नहीं है। बोर्ड के जिन पूर्व-सदस्यों ने इस्तीफा दिया, उनके क्या राजनीतिक हित थे, ये मुझे नहीं पता। लेकिन, वो सभी सदस्य पिछली सरकार के नियुक्त किये गए थे जिन्हें इस सरकार ने बदला नहीं था और ना ही कोई अतिरिक्त सदस्य बोर्ड में शामिल किया गया था। हम हमेशा से सेंसर बोर्ड और उसके निर्णयों का सम्मान करते हैं और उसके सर्टिफिकेशन या किसी और मसले में हमारी कोई दखलअंदाजी नहीं रही है।

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