नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा सभा में मिली प्रचंड बहुमत के बाद संयोजक अरविंद केजरीवाल को आप ने विधायक दल का नेता चुन लिया है। इसके बाद केजरी उप-राज्यपाल नजीब जंग से मिलने वाले हैं। माना जा रहा है कि उप-राज्यपाल से मिलकर दिल्ली में सरकार बनाने का दावा कर सकते हैं। इससे पहले, केजरीवाल ने विधायकोंं के साथ आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श करने को कान्स्टीट्यूशन क्लब मे बैठक की।
इससे पहले, दिल्ली की जनता ने देश के लोकतांत्रिक इतिहास में एक नया अध्याय लिख दिया। सूबे की छठी विधानसभा के गठन के लिए हुए चुनाव में शहर की कुल 70 सीटों में से अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी को 67 सीटें देकर राजधानी के लोगों ने एक नया रिकार्ड कायम कर दिया। आजादी के बाद देश के किसी भी विधानसभा चुनाव में ऐसा बहुमत शायद ही किसी दल को मिला होगा। आम आदमी पार्टी को करीब 54 फीसद वोट मिले हैं और यह भी अपने आप में एक रिकार्ड है। पार्टी के वोट प्रतिशत में करीब 25 फीसद की वृद्धि हुई है।आम आदमी पार्टी के पक्ष में आई सियासी सुनामी ने दिल्ली से कांग्रेस का तो अस्तित्व ही समाप्त कर दिया जबकि भाजपा के अस्तित्व पर भी सवाल खड़ा कर दिया। कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिल पाई है, जबकि भाजपा महज तीन सीटों पर सिमट गई। आजादी के बाद यह पहला मौका है जब किसी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली है। भाजपा की मुख्यमंत्री पद की प्रत्याशी किरण बेदी खुद अपना चुनाव हार गई जबकि कांग्रेस का चेहरा बनाए गए अजय माकन तीसरे नंबर पर खिसक गए। सूबे के सभी कांग्रेसी व भाजपाई सूरमाओं का सितारा डूब गया। बहुतों की तो जमानत तक जब्त हो गई। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दे दिया तो अजय माकन ने भी पार्टी के महासचिव पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी।दिल्ली के जनादेश का असर यह है कि विधानसभा में विपक्ष भी लगभग समाप्त हो गया है। विपक्ष के नाम पर भाजपा के महज तीन विधायक होंगे। जाहिर है कि नियमानुसार पार्टी को विपक्ष के नेता का पद भी नहीं मिलेगा। 70 सदस्यीय विधानसभा में विपक्ष के नेता पद के लिए किसी दल के पास कम से कम सात विधायक होना जरूरी है। हालांकि आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने कहा कि भाजपा को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी दी जाएगी।आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया सहित उनके मंत्रिमंडल में शामिल रहे सभी मंत्री चुनावी जीत दर्ज करने में सफल रहे। दिल्ली की गद्दी से एक साल पहले इस्तीफा देने वाले केजरीवाल ठीक एक साल बाद फिर से सूबे के नए मुख्यमंत्री पद की शपथ 14 फरवरी को लेंगे। दिल्ली के चुनावी आंकड़े बता रहे हैं कि भाजपा को छोड़ लगभग सभी दलों का जनाधार आम आदमी पार्टी में सिमट गया है। कांग्रेस को पिछले विधानसभा चुनाव में करीब 24.5 फीसद तथा लोकसभा चुनाव में 15.1 फीसद मत मिले थे, जबकि इस चुनाव में कांग्रेस को महज 9.7 फीसद वोट ही मिले। जाहिर है कि कांग्रेस का पूरा वोट बैंक आम आदमी पार्टी की ओर खिसक गया। बहुजन समाज पार्टी का भी समूचा वोट आप को मिल गया। दूसरी ओर भाजपा के वोट में करीब दो फीसदी की कमी आई है।
दिल्ली चुनाव: केजरीवाल चुने गए विधायक दल के नेता
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Updated : 2015-02-10T05:30:00+05:30
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