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जनमानस

बिहार में विस्फोटक राजनीति

बिहार राजनीतिक चालों के बारे में इतिहास की कई घटनाओं का संदर्भ मिल सकता है। चतुर और कुटिल चालों में शकुनी और आचार्य चाणक्य के नामों का उल्लेख किया जा सकता है। दोनों में अंतर यह था कि शकुनी धूर्त था और उसने कुनीति और अधर्म के लिए कुटिल चालों के द्वारा पांडवों को वनवास दिलाया, उसकी चालों से कौरवों का ही नाश हो गया। आचार्य चाणक्य की नीतियां और चालें भारत को स्वर्ण युग में ले जाने के उद्देश्य से रही। उन्होंने सामान्य परिवार के बालक चंद्रगुप्त को शिक्षा और संस्कार देकर महान भारत के सम्राट के योग्य बनाया। वर्तमान में भी इसी प्रकार की कुटिल चालों की स्थिति दिखाई देती है। जो राजनीतिक फार्मूला असफल हो चुका, उसको फिर से तलाशने की कोशिश होती है। भारत की राजनीति में क्षेत्रीय दल ऐसे हैं, जिनकी राजनीति का आधार ही जाति का है। यह आधार समाप्त हो गया तो उस दल के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लग जाता है। बिहार देश का बड़ा राज्य है, यहां अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव हैं, वहां अभी से चुनावी बिसाद बिछाई जा रही है। लालू यादव के राजद का आधार ही जातिवाद है। इसी प्रकार शरद-नीतीश का जद (यू) भी इसी फार्मूले पर कायम है।
रमेश राजोरिया, दतिया

Updated : 10 Feb 2015 12:00 AM GMT
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