Home > Archived > राजा नहीं पकड़ सका एक भी बदमाश

राजा नहीं पकड़ सका एक भी बदमाश

बेला और स्टेफी ने भी नहीं दिखाया कोई कारनामा , प्रशिक्षक हड़प रहे हैं वेतन और दवा के नाम पर पैसा


अजय उपाध्याय
ग्वालियर। राजा,बेला और स्टेफी ने पिछले वर्षों में न तो किसी मामले का खुलासा किया है और न ही किसी अपराधी को पकड़वाने में सफलता हासिल की है। जबकि इन पर प्रतिमाह हजारों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। चौंकिए मत यहां हम किसी व्यक्ति की नहीं बल्कि पुलिस के खोजी श्वानों की बात कर रहे हैं।
बताया गया है कि अब तक राजा (श्वान) कभी भी घटना स्थल पर ठीक समय पर नहीं पहुंचा। वहीं शहर में आने वाले व्हीआईपी की सुरक्षा व्यवस्था तथा अन्य विशेष अवसर पर बेला की मदद ली जाती है लेकिन उसने भी आज तक कोई कारनामा नहीं दिखाया। वहीं स्टेफी तो आज तक घर से ही नहीं निकली। जबकि विभाग इन पर हजारों रुपए खर्च कर रहा है। इसके पीछे कारण इनकी देखभाल करने और इन्हें घटनास्थल पर लेकर पहुंचने वाले प्रशिक्षकों की लापरवाही प्रमुख है। राजा की देखरेख करने वाले उसे बीमार बता कर कन्ट्रोल रुम को सूचित कर देते हैं। सूत्र बताते हैं कि राजा की देखभाल के लिए तैनात प्रशिक्षक, राजा के उपचार के लिए मिलने वाले पैसे को स्वयं हड़प जाते हैं। राजा वर्ष में छह बार बीमार हो चुका है।
निजी खातों में होता है राशि का भुगतान
विभाग के नियमानुसार डॉग के लिए खाने-पीने के साथ ही दवा और अन्य रखरखाव पर होने वाले खर्चे का भुगतान,पुलिस लाइन के खाते में या फिर जिन संस्थानों से सामान की खरीदी की जाती है, उन खातों में होना चाहिए। लेकिन सूत्र बताते हैं कि पुलिस अधीक्षक कार्यालय के कुछ कर्मचारियों की सांठगांठ के चलते इनके मास्टर के खाते में यह राशि पहुंच जाती है।
नहीं मिल रहा नियमानुसार भोजन
विभाग के अनुसार डॉग को खाने के लिए 400 ग्राम मटन प्रतिदिन, 7.50ग्राम दूध और रोटियां दी जाती हैं। लेकिन डॉग मास्टर उनके खाने में कटौती करते हुए सप्ताह में तीन दिन ही उन्हें मीट देते हैं। नियमानुसार प्रतिदिन डॉग की ट्रेनिंग होनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया जाता। उधर जब दीपावल के समय हुई एक हत्या के मामले में डॉग की आवश्यकता पड़ी तो पता चला कि डॉग बीमार है, और डॉग मास्टर नदारद हैं।
श्वान बीमार तो पर्चा क्यों नहीं बना
डॉग को बीमार बताने वाले चिकित्सक की इस बात की जांच की जानी चाहिए कि जिन दिनों डॉग बीमार रहा तो उसे क्या बीमारी थी तथा क्या दवा दी गई। यदि बीमार था तो उसका पर्चा क्यों नहीं बनाया गया, बीमारी के दौरान डॉग को किसी ओर के हवाले कर डॉग मास्टर कहां चले गए
श्वानों के लिए तैनात प्रशिक्षक
बताया गया है कि बारुद व बम आदि की जांच के लिए स्नाईफर डॉग को तैनात किया गया जिसके डॉग मास्टर रामवरन हैं।
ट्रेकर श्वान जो चोरी, हत्या,लूट आदि के मामलों के लिए रखा गया है उसके मास्टर मोहन नरवरिया हैं।
नारकोटेस्ट के लिए जो श्वान रखा गया है उसके लिए मास्टर सुखवीर सिंह को तैनात किया गया है।
इन तीनों श्वानों में सर्वाधिक कार्य स्नाईफर व ट्रेकर का होता है। तीन मास्टर की सहायता के लिए एक अतिरिक्त मास्टर शिवप्रताप सिंह को रखा गया है।
पोस्टिंग शहर में
मुख्यालय पीएचक्यू
इस मामले में विशेष बात यह है कि विभाग के नियमानुसार यदि कोई कर्मचारी दस दिन से अधिक जिस स्थान पर रह लेता है उसका मुख्यालय उसी जिले को मान लिया जाता है। लेकिन डॉग मास्टर के मामले में कुछ अलग ही नियम लागू हो रहे हैं। यहां पर डॉग मास्टर माह के 29 दिन शहर में तैनात रहते हैं और एक दिन के लिए शहर से बाहर होना बता देते हैं। जिससे वह वेतन के अलावा पूरे 29 दिन का टीए-डीए भी वसूल तो करते ही हैं साथ एक दिन शहर से बाहर आने-जाने का टीए-डीए भी लेते हैं।
इनका कहना है
''भत्ता कितने दिन का मिल रहा है,इसकी जानकारी बटालियन से मिलेगी। जिले में डॉग (श्वान) के रखने का स्थान तैयार किया जा रहा है। ड्यूटी व अवकाश से संबधित स्थानीय पुलिस कप्तान व आरआई हैं।
मनीष शंकर शर्मा
महानिरीक्षक, पुलिस मुख्यालय प्रशिक्षण प्रभारी, भोपाल
''मुख्यालय 23 वीं बटालियन भोपाल है, लेकिन डॉग व मास्टर को संबधित जिला के पुलिस अधीक्षक व आरआई के सुपुर्द किया गया है। जिसके निर्देश पर वह कार्य करते हैं। यदि कोई अनियमितता हो रही है तो उसके जिम्मेदार वह होगें तथा 29 दिन का भत्ते का सर्कुलर देखने के बाद ही जानकारी दे सकूंगा।
केएल ठाकुर
असिस्टेंट कमाण्डेंट, 23 वीं बटालियन, भोपाल
''आपके द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया है। अभी तक किसी ने कोई शिकायत नहीं की थी, यदि इस तरह की अनियमितता बरती जा रही है और घटना स्थल पर तत्काल डॉग नहीं पहुंच रहा है तथा उसके लिए जारी राशि में हेराफेरी की जा रही है तो मैं इसकी जांच कर कार्रवाई करूंगा।
हरिनारायणचारी मिश्रा
पुलिस कप्तान, ग्वालियर

Updated : 31 Dec 2015 12:00 AM GMT
Next Story
Top