आंध्र के लेपाक्षी मंदिर में हवा में झूलता है पिलर

दर्शन कर लौटे उप्पल दंपत्ति ने सुनाया वृतांत
गुना। दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश में स्थित लेपाक्षी मंदिर में हवा में पिलर झूलता है। भारत एवं अन्य देशों के धार्मिक स्थलों के दर्शन कर चुके सोनी कॉलोनी निवासी उप्पल दंपत्ति ने बताया कि उक्त मंदिर अनंतपुर जिले से 115किलोमीटर दूर स्थित है। विजय उप्पल के अनुसार यह मंदिर कुल 70 पिलरो पर टिका है। जिसमें एकपिलर जमीन को छूता भी नहीं है और हवा में झूलता रहता है। इस झूलते हुए पिलर के कारण मंदिर को टेंगिंग टेम्पल कहा जाता है।
पहले जुड़ा था मंदिर के फर्श से
श्रीमती मधु उप्पल ने बताया कि पहले यह पिलर भी मंदिर के फर्श से जुड़ा हुआ था, किन्तु बताया जाता है कि एक बिट्रिश इंजीनियर ने यह देखने की पिलर टिके कैसे है? एक पिलर को हिलाया तो यह हवा में झूलने लगा। मान्यता है कि इस पिलर के नीचे से कपड़ा निकालने पर सुख -समृद्धि में वृद्धि होती है।। उप्पल दंपत्ति के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 1583 में दो भाईयो निरुपन्ना और विरन्ना ने करवाया था। हालांकि पौराणिक मतों के अनुसार लेपाक्ष मंदिर परिसर में स्थित विरभद्र मंदिर का निर्माण अगस्त्य रिषि ने करवाया था।
नंदी की है 27 फिट लंबी प्रतिमा
मंदिर के पास एक ही पत्थर से बनी नंदी की विशाल प्रतिमा है। यह प्रतिमा 27 फिट लंबी और 15 फिट ऊँची है। यहँा वीरभद्र मंदिर में एक ही पत्थर की नागालिंग प्रतिमा भी स्थापित है। काले ग्रेनाइट से बनी प्रतिमा में एक ही शिवलिंग के ऊपर सात फन वाला नाग फन फैलाए बैठा है। इसके साथ ही मंदिर परिसर में माता सीता के पैरों के निशान भी है।