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दलित इलाकों में टीकाकरण जागरूकता लाना जरूरी

भोपाल। प्रदेश के अनुसूचित जाति बहुल जिलों में टीकाकरण की गतिविधियों पर और अधिक ध्यान दिए जाने की जरूरत है। राज्य में 12 जिले ऐसे हैं जहां अनुसूचित जाति की आबादी 20 से लेकर 26 प्रतिशत तक है। इन जिलों में 12 से 23 माह के बच्चों में पूर्ण टीकाकरण का औसत 60.9 प्रतिशत ही है। यह पूरे राज्य के औसत 66.4 से करीब 6 प्रतिशत कम है।
राज्य के जिन जिलों में अनुसूचित जाति की संख्या अधिक है उनमें विदिषा, पन्ना, सीहोर, अशोकनगर, सागर, मुरैना, भिंड, छतरपुर, शाजापुर, टीकमगढ़, दतिया और उज्जैन शामिल हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार अंतिम तीन जिलों में अनुसूचित जाति की आबादी 25 प्रतिशत से अधिक है। वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एएचएस) 2013 की रिपोर्ट के अनुसार इन 12 जिलों में उज्जैन जिला अकेला ऐसा है जहां पूर्ण टीकाकरण का प्रतिशत 81.1 यानी सर्वाधिक है। बाकी जिलों में से तीन जिले ऐसे हैं जहां यह औसत 70 से 80 प्रतिशत के बीच है। इन जिलों में भिंड 71.3, मुरैना 73.4 और शाजापुर 77.4 शामिल हैं।
अनुसूचित जाति बहुल जिलों में पूर्ण टीकाकरण के लिहाज से सर्वाधिक कमजोर स्थिति बुंदेलखंड के जिलों की है। सागर ही ऐसा जिला है जहां टीकाकरण का प्रतिशत थोड़ा ठीकठाक 55 प्रतिशत है। अंचल के बाकी जिलों में से छतरपुर में यह 43.5, पन्ना में 38.4 और टीकमगढ़ में सिर्फ 31.5 प्रतिशत ही है। ऐसी ही स्थिति बुंदेलखंड इलाके से लगे विदिशा जिले की भी है जहां पूर्ण टीकाकरण का औसत 48.9 प्रतिशत पाया गया है। इन सभी 12 जिलों में करीब 4 प्रतिशत बच्चे ऐसे है जिन्हें किसी भी तरह का टीका नहीं लगा। इन जिलों में दतिया और पन्ना सबसे शीर्ष पर है जहां ऐसे बच्चों का औसत 6.2 प्रतिशत है। उसके बाद टीकमगढ़ 5.7, छतरपुर 4.7 और सीहोर 4.3 प्रतिशत है। यूनीसेफ के कार्यवाहक प्रमुख मनीष माथुर के अनुसार टीकाकरण बच्चों के स्वास्थ्य की बुनियाद है। बच्चों के स्वास्थ्य और भविष्य की मजबूती भी जीवनरक्षक टीकों पर निर्भर करती है। ये टीके न सिर्फ बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाते हैं बल्कि उनकी रोग प्रतिरोधक शक्ति को भी बढ़ाते हैं। बच्चों को लगने वाले टीके उन्हें आठ जानलेवा बीमारियों से बचाते हैं। इनमें खसरा, टिटेनस, पोलियो, टीबी, गलघोंटू, काली खांसी और एच एन्फ्लूएंजा बी और हेपेटाइटिस बी जैसी बीमारियां शामिल हैं। इनमें से पोलियो को छोड़कर बाकी टीके इंजेक्शन के जरिए दिए जाते हैं जबकि पोलियो की दवा बच्चों को बूंदों के रूप में पिलाई जाती है। हाल ही में पोलियो का एक टीका इंजेक्शन से दिए जाने की भी शुरुआत की गई है। बच्चों के अलावा गर्भवती महिलाओं को भी टिटेनस का टीका लगाकर खुद गर्भवती मां और उसके होने वाले बच्चें को टिटेनस जैसे घातक रोग से बचाया जा सकता है। राज्य के अनुसूचित जाति बहुल जिलों में पूर्ण टीकाकरण अभियान पर इसलिए भी ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि एएचएस 2013 के अनुसार इन जिलों में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर प्रति हजार करीब 87 है जो प्रदेश के औसत 83 से अधिक है। पन्ना जिले में तो यह आंकड़ा अप्रत्याशित रूप से 127 है।

Updated : 28 Dec 2015 12:00 AM GMT
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