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कीर्ति की जेटली अपकीर्ति में भाजपा की परीक्षा


अरुण जेटली के खिलाफ डीडीसीए में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विषवमन करने वाले कीर्ति आजाद का अपनी पार्टी भाजपा से 6 साल का निलंबन हो गया है। इस निलंबन पर समाचारों की रोचक लाइनें थीं कीर्ति आजाद आउट, कीर्ति हुये आजाद, इस युक्का फजीहत से भाजपा पार्टी का बेवजह रक्षात्मक मुद्रा में आना कमजोर रणनीति का ही द्योतक है।केजरीवाल के प्रधानसचिव पर सीबीआई का छापा पड़ता है और परिणाम भाजपा को एक नयी बगावत के रूप में झेलना पड़ता है। कीर्ति आजाद को सही ठहराने वाले शत्रुघन सिन्हा की बगावत तमाम सीमायें पार कर चुकी है परंतु पार्टी ने उन पर कार्रवाई का साहस आज तक नहीं जुटा पाया है।ललित मोदी प्रकरण में सुषमा स्वराज, वसुंधरा राजे व व्यापमं महाघोटाले में शिवराजसिंह चौहान के बाद अब वित्तमंत्री अरुण जेटली के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में विपक्ष द्वारा भाजपा को निशाने पर लेकर साजिश का जो जाल बुना जा रहा है उसमें भाजपा फंसती हुयी स्पष्ट होती है।समय के साथ मुद्दों को स्वत: कमजोर होने की प्रतीक्षा में भाजपा ने अपने आरोपों को पहेली बनाकर छोडऩे की गलत परिपाटी निर्मित की है। अरुण जेटली के साथ उनकी वकील पुत्री पर भी लांछन लगा है ऐसे में भाजपा के खरे सिद्धांतों का प्रकाश जगमगाने की जगह रहस्यमय अंधियारे की ओट लेना कदापि ही ठीक नहीं होगा।विपक्षी राजनीति व अन्य विरोधों को माकूल जवाब देने की तीक्ष्ण व आक्रामक बेदाग छवि को सरकार में होने की उदारता में नष्ट करना आत्मघाती कदम होगा। लालकृष्ण आडवाणी का भ्रष्टाचारी आरोपों के खिलाफ आदर्श उदाहरण अनुकरणीय होना चाहिए उसके लिये जेटली को उनके नक्शे कदम का अक्षरश: पालन करके दिखाना होगा।भाजपा के पास तमाम विषयों के विशेषज्ञ नेताओं की कोई कमीं नहीं हैं कमीं है बैंच पर बैठे घाघ नेताओं के सदुपयोग की।अरुण जेटली चुनाव हार कर भी मंत्रिमंडल में प्रमुखता को जनता की ही पसंद में प्राप्त हो सकते हैं तब किसी भी आरोप से बेदाग निकलने के लिये पद त्याग की महिमा में भी उन्हें आगे आना चाहिए।प्रधानमंत्री जी को पूर्ण विश्वास है कि वे दोषमुक्त हैं ऐसे में जेटली का विवेक ही ऐसे कुहांसे को दूर कर सकता है।बिहार की हार में अमित शाह को हटाने की पार्टी के अंदर होने वाली सुगबुगाहट हो या अब आप के पलटवार ड्रामा की सफलता में भाजपा के अंदर का कलह सामने आना निश्चित ही पार्टी के लिये यह गंभीर चिंता का विषय है।कीर्ति की जेटली अपकीर्ति का समाधान कीर्ति का निलंबन नहीं हो सकता ऐसे निलंबन से तो पार्टी की साख और खऱाब होती है।कीर्ति पर अविश्वास और शत्रुघन सिन्हा को बर्दाश्त करना क्या ऐसे विरोधाभास से पार्टी की निर्णय शक्ति कमजोर स्पष्ट नहीं होती।आरोपों की जांच के शानदार नियोजन में भाजपा पार्टी का हाई कमान सजगता से पेश आये तभी जनता दलों के भ्रष्टाचार में भाजपा के कमल स्वरूप पर स्थायी मोहर लगा सकती है।

हरिओम जोशी

Updated : 25 Dec 2015 12:00 AM GMT
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