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रक्षा उपकरणों की खरीद प्रक्रिया में व्यापक बदलाव : पर्रिकर

रक्षा उपकरणों की खरीद प्रक्रिया में व्यापक बदलाव : पर्रिकर
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नई दिल्ली। रक्षा उपकरणों में स्वदेशीकरण की नीति अपनाने और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रक्षा मंत्रालय अपनी रक्षा खरीद प्रक्रिया में व्यापक बदलाव करने जा रहा है। नई प्रक्रियाओं के साथ ही मंत्रालय जल्द ही नई रक्षा खरीद नियमावली-2016 भी जारी करेगा।
रक्षा मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की शुक्रवार को यहां हुई बैठक में स्वदेशीकरण का मसला जोरशोर से उठा I बैठक में हिस्सा लेने वाले समिति के सदस्यों के सवालों के जवाब में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने बताया कि धीरेंद्र सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट के आधार पर रक्षा खरीद प्रक्रिया में कई बड़े बदलाव किए जा रहे हैं। रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए एक नीतिगत ढांचे को विकसित करने और 2013 की खरीद प्रक्रिया के समावेश से एक नई नीति तैयार की जा रही है। उम्मीद है कि इसके साथ ही अगले साल तक नई रक्षा खरीद नियमावली भी तैयार कर ली जाएगी।
बैठक में शामिल रक्षा मंत्रालय के सचिव जी मोहन कुमार, रक्षा उत्पादन सचिव अशोक कुमार गुप्ता, डीआरडीओ के महानिदेशक एस किस्ट्रोफर तथा अन्य उच्च अधिकारियों के साथ चर्चा करते हुए समिति के सदस्यों को रक्षा मंत्री पर्रिकर ने बताया कि नई खरीद प्रक्रिया में 2002 से लेकर 2013 तक के अनुभवों को शामिल किया गया है, लेकिन उपकरणों के निर्माण में स्वेदशीकरण पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है I 2016 से नई खरीद प्रक्रिया को सफलतावूर्वक लागू करने के लिए मंत्रालय ने अपने हितधारकों, जिनमें उपयोगकर्ता, सेवाएं प्रदान करने वाले, गुणवत्ता नियंत्रण, रखरखाव से जुडी एजेंसियां, रक्षा वित्त, प्रशासनिक विंग और उद्योग जगत से सलाह-मसविरा किया है I
उन्होंने बताया कि नई खरीद प्रक्रिया में वर्गीकरण के कई आधार तय किये गए हैंI इनमें सबसे पहले भारतीयों से खरीद और खरीदों और बनाओं को महत्व दिया गया है। इसके बाद स्वदेश में बनाओं, खरीदो एवं बनाओं और फिर वैश्विक स्तर से होने वाली खरीद को रखा गया है। इस वर्गीकरण नीति से साफ है कि मंत्रालय स्वदेशी उपकरणों एवं भारत में खरीद पर बल दे रहा है I सूची में वैश्विक स्तर से होने वाली खरीद को सबसे अंतिम स्थान दिया गया है। मेक इन इंडिया के तहत देश में रक्षा उपकरणों के निर्माण के लिए सरकार निजी क्षेत्रों की कंपनियों को आंमत्रित कर रही है।
बैठक में कई सांसदों ने सुझाव दिया कि भारत में खरीदो और खरीदो-बनाओ की श्रेणी के लिए सरकार को करो में छूट देनी चाहिए, जिससे कि मेक इन इंडिया को प्रोत्साहन मिल सके। इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में भारत श्रेणी में शामिल होने वालों को भी बोली लगाने की अनुमति दी जानी चाहिए। संसदीय सलाहकार समिति की बैठक में सांसद पिनाकी मिश्रा, प्रोफ़ेसर सौगत राय, प्रोफ़ेसर ए. सीताराम नाइक, राजीव चंद्रशेखर, डॉ महेंद्र प्रसाद, टी. के. रंगराजन, भूपेंदर यादव और शमशेर सिंह मन्हास शामिल थे I

Updated : 18 Dec 2015 12:00 AM GMT
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