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जनमानस

आधारहीन और मनगढ़ंत मसलों की घोर अहितकारी बहसें


मंदिर, प्रवेश की रोक में शैलजा के जाति पूछो प्रकरण के बाद मनगढ़ंत कहानी लेकर राहुल गांधी का संसद के बहुमूल्य समय को बर्बाद करना बेहद अफसोसजनक है।असम में बारपेटा के मंदिर में रोकने की शिकायत में राहुल का संघ कार्यकर्ताओं का जिक्र करना अपने आप इस झूठी कहानी की पोल खोल देता है। वैसे वहाँ के पुजारी ने ऐसे गलत तथ्य पर आश्चर्य ही व्यक्त किया है। संघ विरोध के लिये हिन्दू मंदिरों को मोहरा बनाना राहुल को बहुत ही महँगा पड़ेगा उन्हें व उनके अन्य पार्टी राजनीतिज्ञ जिस प्रकार से हिन्दू मंदिरों को बदनाम कर रहे हैं वह छोटा अपराध नहीं है इससे न सिर्फ हिन्दू एकता में सभी जातियों के एकजुट होने के मेहनती प्रयासों को धक्का लगता है बल्कि ऐसे दुष्प्रचार से जातिवाद के दानव को जिंदा रहने की देश विरोधी ऊर्जा मिलती है। उत्तराखंड में भी मंदिर प्रवेश की रोक में झूठी कहानी बेपर्दा हो चुकी है। संघ जहाँ हिन्दू समाज की बुराइयों या कुरीतियों को दूर करने में सतत् संलग्न है भला वह व उसके कार्यकर्ता राहुल गांधी को मंदिर में प्रवेश की रोक में कैसे धृष्टता कर सकते हैं ऐसी अफवाह को संसद में बहाकर राहुल गांधी ने नादान बच्चे से भी गिरी हुयी हरकत की है। इसी प्रकार से झुग्गी-झोपडिय़ों के मसीहा होने का वे बढिय़ा नाटक खेलते हुये अपना मोबाइल नंबर देते हैं। रेलमंत्री सुरेश-प्रभु की सफाई पर यदि कान रखा जाता तो मनगढ़ंत मसलों पर न्यायालय के स्वत: संज्ञान की अच्छी परिपाटी को विपक्ष की बदमाशी का साधन बन जाने का चलन रोकने की गंभीरता सदन में अच्छी चर्चा का विषय बन सकती थी परंतु नेक काम करने की तैयारी विपक्ष ने बंद ही कर दी लगती है। प्रधानमंत्री जी कांग्रेसियों को निमंत्रण भेजें तो उसका बहिष्कार किया जाता है और यदि निमंत्रण या आमंत्रण की जहाँ कोई गुंजाइश न हो वहाँ केरल के मुख्यमंत्री के कथित निमंत्रण को मुद्दा बना दिया जाता है क्या ऐसी आधार हीन बातों में घोर अहितकारी बहसों से राष्ट्र का भला हो सकता है? पाकिस्तान में हमारी विदेश मंत्री ने हरी साड़ी पहनी है और उर्दू जुबान में अपनी भावनायें पेश की हैं या अपनी बात की है उनका मेलजोल किस-किससे हुआ इसका सूक्ष्म विश्लेषण विपक्ष के मानसिक दिवालियेपन का ही सूचक है। पूरा राष्ट्र ही हिन्दू समाज के लिये बहुत बड़ा मंदिर है इस मंदिर में सभी समुदायों को खुशनुमा वातावरण में शानदार पनाह मिली हुयी है जिसका आधार कभी न मिटने वाली सहिष्णुता है फिर भी खोखले, आधारहीन मनगढ़ंत मसलों की आंच में देश का सबसे बड़ा दल कांग्रेस तापने में लगा है और संसद की गरिमा को ठेंगा दिखा रहा है आखिर ऐसा कलुषित वातावरण देश पर बोझ नहीं तो और क्या है।

हरिओम जोशी

Updated : 16 Dec 2015 12:00 AM GMT
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