Home > Archived > जलवायु परिवर्तन पर ऎतिहासिक समझौता, भारत ने जताई खुशी

जलवायु परिवर्तन पर ऎतिहासिक समझौता, भारत ने जताई खुशी

जलवायु परिवर्तन पर ऎतिहासिक समझौता, भारत ने जताई खुशी
X

पेरिस। पेरिस में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में शनिवार शाम पेश समझौते के प्रारूप को 196 देशों के प्रतिनिधियों ने स्वीकार कर लिया। जलवायु परिवर्तन को लेकर दुनिया के इस पहले सार्वभौमिक समझौते का उद्देश्य धरती के बढ़ते तापमान को दो डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना है। इसमें विकासशील देशों को इस समस्या से निपटने के लिए प्रतिवर्ष 100 अरब डॉलर की मदद देने पर भी सहमति बनी है। भारत ने समझौते का स्वागत करते हुए इसे संतुलित और संबंधित समस्याओं से निपटने वाला बताया।
32 पृष्ठों के पेरिस समझौते की घोषणा फ्रांस के विदेश मंत्री लॉरेंट फेबियस ने की, जो संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन के अध्यक्ष भी हैं। इस समझौते पर सहमति पेरिस में पिछले करीब दो सप्ताह की वार्ताओं के बाद बनी। सहमति के लिए सम्मेलन का समय एक दिन बढ़ाया भी गया, जो पहले 12 दिसम्बर को समाप्त होने वाला था, वह 13 दिसम्बर तक चला। फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने समझौता होने पर खुशी जताते हुए पक्षकारों से कहा, ""आपने इसे कर दिखाया। एक महत्वाकांक्षी, बाध्याकारी और सार्वभौमिक समझौते पर सहमति बन गई है। मैं सम्मेलन की सफलता के प्रति आभारी हूं। आपने अपने बच्चाों और आने वाली पीढि़यों के लिए पर्यावरण को बचाने की पहल में हिस्सा लिया।"" वहीं, भारत के केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जाव़डेकर ने समझौते पर खुशी जताते हुए कहा कि यह और अधिक महत्वाकांक्षी हो सकता था। अमीर देशों से जिस प्रतिबद्धता की उम्मीद थी, वह पूरी नहीं हुई। फिर भी इसमें पर्यारण संरक्षण की बुनियादी अवधारणा और जवाबदेही पर ध्यान दिया गया है।
जाव़डेकर ने कहा इस ब़डी उपलब्धि को हासिल करने में भाषा सहित कई मुद्दे बाधा की तरह थे। लेकिन इन सबको दरकिनार कर 196 देशों ने एकजुट प्रयास किए। समझौते के मूल स्वरूप में किसी भी तरह का बदलाव किए बगैर इसे सभी के लिए स्वीकार्य बनाने की जरूरत थी। हमने इसके मूल स्वरूप को बनाए रखने में कामयाबी पाई।" उन्होंने कहा, "आज का दिन ऎतिहासिक है। आज जिस दस्तावेज को स्वीकृति मिली है, वह सिर्फ एक समझौता नहीं, बल्कि सात अरब लोगों की जिंदगी की उम्मीद का नया अध्याय है।
आज हमने अपनी भावी पीढि़यों को आश्वस्त कर दिया है, हम जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों को कम करेंगे और उन्हें एक बेहतर भविष्य देंगे।"" फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने इस समझौते पर सहयोग के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात भी की थी। संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज के तहत 21वीं कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी21) द्वारा पेरिस समझौते को पक्षकारों द्वारा स्वीकार कर लिए जाने के बाद अब इसे संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय ले जाया जाएगा, जहां 22 अप्रैल, 2016 को पृथ्वी दिवस के मौके पर सदस्य देश इस पर औपचारिक रूप से हस्ताक्षर करेंगे। यह समझौता 55 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार कम से कम 55 देशों के समझौते के बाद लागू हो जाएगा।

Updated : 13 Dec 2015 12:00 AM GMT
Next Story
Top