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जनमानस

भारत में असहिष्णुता की बात बेमानी


सहिष्णुता के मामले में भारत जैसा कोई राष्ट्र नहीं है। पूरे विश्व में भारत ही एक ऐसा राष्ट्र है जो अपने शत्रुओं के साथ भी हाथ मिलाने के लिए तत्पर रहता है भारत में विविध सम्प्रदाय विविध भाषा, विविध संस्कृति के लोग आनन्द के साथ रह रहे हैं। इसलिए भारत में असहिष्णुता की बात पूरी तरह बेमानी है यदि हम विश्व के एन्य देशों की बात करें तो वर्तमान समय में यूरोप, अफ्रीका, अरब सहित विश्व का अधिकांश हिस्सा मजहबी असहिष्णुता के चलते भयभीत है। पेरिस में हुए आतंकी हमले के बाद समूचे यूरोप में दहशत का माहौल है। विश्व के इस माहौल में भारत की सहिष्णुता विचारधारा का गर्व के साथ उल्लेख होना चाहिए जहां तमाम विविधताओं के बावजूद लोग स्वार्थपूर्ण वातावरण में रहते हैं लेकिन हां भारत में कुछ चन्द लोग ऐसे है जो सबका साथ, सबका विकास के लक्ष्य को लेकर चलने वाली केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को सहन नहीं कर पा रहे। उनका एक ही लक्ष्य है कैसे भी केन्द्र सरकार और देश को बदनाम किया जाए। ऐसे ही लोगों के इशारे पर देश के कुछ साहित्यकारों ने सम्मान वापसी का अभियान चलाकर पूरे विश्व को देश के प्रति गलत संदेश देने का प्रयास किया। इसके बाद फिल्म अभिनेता शाहरुख खान ने भी बयान देकर भारत से लेकर समूचे विश्व में सनसनी फैलाने का प्रयास किया। इसके बाद भी जब मनसूबे पूरे नहीं हुए तो अचानक फिल्म अभिनेता आमिर खान भी सामने आ गए और उन्होंने भी अपनी पत्नी किरण को आधार बनाकर भारत में असहिष्णुता की बात को हवा देने का प्रयास किया। लेकिन वे यह बात भूल गए कि देश के सवा सौ करोड़ नागरिक उन्हें सिर आंखों पर बिठाते हैं फिर भारत में असहिष्णुता उन्हें कहां नजर आ रही है। जो चन्द लोग असहिष्णुता की बात फैलाकर देश को बदनाम करने में जुटे हैं। ऐसे लोगों से देश के नागरिकों को सावधान और सचेत रहने की जरुरत है।

रागिनी शर्मा, ग्वालियर

Updated : 30 Nov 2015 12:00 AM GMT
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