आरटीआई कार्यकर्ता ने लगाया अधिकारियों पर दोषी पटवारी को बचाने का आरोप

मुरैना/जौरा। अपनी पत्नी के नाम कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर राहत राशि हड़पने का प्रयास करने बाले दोषी पटवारी एवं इस काम में उसका सहयोग करने बाले अन्य अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ पूरे तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है। इस कारण प्रशासन तंत्र में भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारियों के हौसले बुलंद हैं। उपरोक्त सनसनीखेज आरोप आरटीआई कार्यकर्ता कुलेन्द्र शर्मा ने लगाते हुए प्रशासन तंत्र से मामले की गंभीरता से जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की है। शर्मा ने कलेक्टर मुरैना को दिये गये शिकायती पत्र में कहा है कि जौरा तहसील के जाफराबाद मौजे में पदस्थ हलका पटवारी हरीसिंह शाक्य ने कूट रचना कर अपनी पत्नी श्रीमती पुष्प लता के नाम लगभग 20 हजार रूपये की राहत राशि का चैक तैयार कर उसे हड़पने की साजिश रची थी। पटवारी की इस साजिश में राहत राशि की जांच करने बाले राजस्व एवं कृषि विभाग के कुछ अन्य अधिकारी कर्मचारी भी शामिल थे।
जानकारी के अनुसार पटवारी राहत राशि का चैक प्राप्त करता उससे पूर्व ही इस मामले का खुलासा हो जाने क कारण राजस्ब अधिकारियों द्वारा संबंधित पटवारी को कार्यवाही के नाम पर निलंबित कर मामले में लीपा पोती कर दी। आरटीआई कार्यकर्ता कुलेन्द्र शर्मा का कहना है कि पटवारी का यह कृत्य आपराधिक कृत्य है एवं मामले में पटवारी एवं उसके सहयोगियों के विरूद्घ धोखाध$डी आर्थिक अपयोजन का अपराध पुलिस थाने में दर्ज कराया जाना चाहिये लेकिन तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी जौरा ने दोषी पटवारी को बचाने के उद्देश्य से ही उसे निलंबित कर दिया एवं जांच की औपचारिकता के बाद जालसाजी जैसे गंभीर अपराध के पुख्ता प्रमाण होने के बावजूद उसे कुछ माह बाद ही चेतावनी देकर छोड़ दिया। शर्मा का कहना है कि इस मामले को रफादफा करने के नाम पर हजारों के लेनदेन की चर्चाये भी उस समय जोरों पर रहीं थीं। शर्मा ने हाल ही में इस मामले की जांच कराने एवं दोषियों के विरूद्घ कार्यवाही की मांग हेतु कलेक्टर मुरैना को जनसुनवाई में पत्र दिया है।