नेपाल के हालात से चिंतित हैं संयुक्त राष्ट्र
जेनेवा। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने नेपाल में नए संविधान के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों के प्रति चिंता जताई है। साथ ही नेपाली अधिकारियों से बल प्रयोग करने को लेकर अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करने के साथ ही मामले के निपटारे के लिए एक सार्थक समावेशी और खुली बातचीत करने का आग्रह किया है।
जेनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (ओएचसीएचआर) के कार्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा है कि नेपाल में मौजूदा दशा में नेपाली सुरक्षा बलों द्वारा की जा रही बल प्रयोग मामले में राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही नेपाल के सभी राजनीतिक दलों में एक सार्थक समावेशी और खुली बातचीत का करने का आह्वान किया, ताकि सभी अल्पसंख्यक समुदायों के विचारों और उनकी चिंताओं का एक निष्पक्ष और सकारात्मक उपाए तलाश किए जा सके। खेद प्रकट करते हुए प्रवक्ता ने कहा कि अगर नेपाल सरकार सही तरह से मामले के निपटारे को लेकर कदम उठाते तो विरोध प्रदर्शन के दौरान इतने लोग नहीं मारे जाते।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि जिस तरह से देश के अंदर गैस,चिकित्सा, भोजन, और आवश्यक वस्तुओं की कमी हो रही है, उससे देश में जीवन काफी प्रभावित हुआ है। आयोग के मुताबिक आवश्यक आपूर्ति और सेवाओं में किसी तरह की रुकावट जीवन के अधिकार सहित अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का गंभीर उल्लंघन है। इससे क्षेत्र में और तनाव बढ़ने की संभावना है।
जानकारी हो कि हाल में नेपाल में लागू नए संविधान को लेकर मधेशी समुदाय के बीच रोष है और इसके विरोध में देश के दक्षिणी तराई इलाक़े और पश्चिमी इलाक़ों में मधेशी समुदाय के लोग नए संविधान सहित जीवन की मूलभूत आपूर्ति और सेवाओं की कमी के कारण लगातार हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं। वही पुलिस की गोलीबारी में अब तक कम से कम 50 लोग मारे गए हैं और कई घायल हुए है।