बारह साल में पहली बार हार का 'कलंक'

भाजपा सरकार में उपचुनाव का पूरा लेखा-जोखा
भोपाल। मध्य प्रदेश देवास विधानसभा और रतलाम लोकसभा उपचुनाव से पहले भाजपा सरकार में 19 उपचुनाव हुए हैं। ये सभी विधानसभा सीटों के उपचुनाव थे। इनमें से भाजपा को 13 बार जीत हासिल हुई है। केवल 6 बार ही पार्टी को हार मिली थी। 12 वर्षों में लोकसभा का पहला उपचुनाव हुआ और उसने भाजपा के जीत के गणित को भी गड़बड़ा दिया। पहले उपचुनाव की शुरुआत 2004 में नोहटा उपचुनाव से हुई। यहां भाजपा के दशरथ सिंह लोधी विजयी रहे। इसी वक्त बालाघाट सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के अशोक सरसवार जीत गए। इसके बाद 2006 में बुधनी का उपचुनाव हुआ जहां भाजपा प्रत्याशी और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जीत हासिल की।
इसी दौरान बड़ा मलेहरा की सीट पर भाजपा के कपूरचंद घुवारा जीते। इसी वक्त पंधाना सीट पर भी उपचुनाव हुआ और यहां से भी भाजपा के देवेंद्र वर्मा जीते। इसके बाद 2007 में उदयपुरा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा की शशिप्रभा सिंह विजयी हुईं। शिवपुरी सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस का झंडा लहराया और वीरेंद्र सिंह रघुवंशी जीते। इसी दौरान लांजी सीट पर भाजपा हारी और समाजवादी पार्टी के किशोर समरीते जीत गए। 2007 में ही सांवेर सीट पर कांग्रेस के तुलसी सिलावट ने जीत दर्ज कराई। 2009 में फिर उपचुनाव हुए और कांग्रेस के रणवीर सिंह जाट गोहद से जीत गए। इसी वक्त तेंदुखेड़ा में हो रहे उपचुनाव में भी भाजपा उम्मीदवार को जीत मिली। इसके बाद 2011 में सोनकच्छ के उपचुनाव में भाजपा के राजेंद्र वर्मा जीते। 2011 में नेता प्रतिपक्ष जमुनादेवी के निधन से खाली हुई कुक्षी सीट पर भी भाजपा के मुकाम सिंह कराड़े विजयी हुए। इसी साल जबेरा सीट पर भाजपा के दशरथ सिंह लोधी को जीत मिली। 2012 में महेश्वर सीट पर भाजपा के राजकुमार मेव विजयी रहे। 2014 में बहोरीबंद उपचुनाव में कांग्रेस के कुंवर सौरभ सिंह विजयी हुए। 2014 में ही विजय राघोगढ़ सीट से भाजपा के संजय पाठक ने जीत दर्ज कराई। इसी दौरान आगर सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा के गोपाल परमार जीते। इसी साल मंदसौर की गरोठ सीट पर भाजपा उम्मीदवार चंदर सिंह सिसोदिया जीत गए। देवास विधानसभा सीट गायत्री राजे पवार ने पति की विरासत को आगे बढ़ाते हुए जीत हासिल की। वहीं भाजपा सरकार के कार्यकाल में पहली बार हुए लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया ने जीत का परचम लहराया।
2003 में भाजपा के बाद सत्ता में आते ही 2009 तक 11 उपचुनाव हुए। इसमें भाजपा छह बार ही जीत सकी। यानी मुकाबला लगभग बराबर का रहा। लेकिन 2009 के बाद 2015 तक यानी पिछले साल तक जीत के नए कीर्तिमान रच दिये। इस दौरान विधानसभा सीटों के 8 उपचुनाव हुए। जिसमें भाजपा को केवल एक ही बार हार मिली, लेकिन अब मिली रतलाम की हार सबसे करारी है।