बाघों के मामले में वन विभाग से उच्च् न्यायालय ने एक माह में मांगा जवाब

जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने यह निर्देश दिये

भोपाल। हाईकोर्ट ने भोपाल के आस-पास घूम रहे बाघों की सुरक्षा और उनकी शिफ्टिंग को लेकर वन विभाग से चार हफ्ते में जवाब मांगा है। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह निर्देश दिये हंै कि राजधानी से सटे रातापानी अभयारण्य को टाईगर रिजर्व बनाने की मांग, भोपाल के आस-पास घूम रहे बाघों की सुरक्षा, वन भूमि से अतिक्रमण हटाने तथा पन्ना भेजे गये बाघ के मामले की जांच जनहित याचिका में की गयी है, जिस पर कोर्ट ने आज नोटिस जारी किया है।
हाईकोर्ट में अजय दुबे ने जनहित याचिका लगाई थी, जिस पर आज कोर्ट ने वन विभाग और नेशनल टाईगर कंसरवेशन अथॉरिटी से जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया कि बाघों के मूवमेंट क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने की बजाय वन विभाग बाघों को शिफ्ट करना चाह रहा है। 29 अक्टूबर 2015 को पन्ना शिफ्ट किये गये बाघ के मामले में भी जांच की आवश्यकता है।
पन्ना बाघों को एक संक्रमण बिमारी है और यह जांचे बगैर भोपाल से पकड़े गये बाघ को पन्ना शिफ्ट कर दिया गया। इतना ही नहीं वन विभाग बाघों की सुरक्षा को लेकर कोई कदम नहीं उठा रहा है, जबकि उनके मूवमेंट की खबरें लगातार आ रही हंै। याचिकाकर्ता ने बताया कि वन भूमि से अतिक्रमण को भी नहीं हटाया जा रहा है।
भोपाल के आस-पास घूम रहे बाघों को वन विभाग भोपाल सीमा से बाहर शिफ्ट करना चाहता है। इसको लेकर तीन दिन पूर्व वन विभाग ने दिनभर टी-1 के पग मार्ग ढूंढने और उसे पकडऩे के लिए पांच टीमों का गठन कर अभियान चलाया था। लेकिन बाघ के पग मार्ग नहीं मिले, इसएि वन विभाग को अभियान रोकना पड़ा। ज्ञातव्य है कि यहां कई नेताओं का प्रभाव क्षेत्र है, इसलिए इसे टाईगर रजिर्व घोषित करने का मतलब होगा, यहां के 32 गांवों का विस्थापन। इस इलाके में बड़ी आबादी कई दशकों से बसी हुई है।
इसके अलावा यहां कई व्यावसायिक गतिविधियां चल रही है। यह सभी तबके टाईगर रिजर्व के पक्ष में नहीं है, क्योंकि ऐसा होने से कई गतिविधियां प्रतिबंधित हो जायेंगी। भोपाल के रसूखदारों की जमीनें भी इसी इलाके में है। रातापानी में बाघों की संख्या में वृद्धि व भोपाल में दस्तक से दबाव में आया वन विभाग सरकार का रूख देखकर चुप है। एनटीसीए इसे अधिसूचित करने का दबाव बना रहा है।

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