नई दिल्ली | भारत के नवीनतम संचार उपग्रह जी सैट-15 का यूरोपीय एरियन 5 वीए-227 से सफल प्रक्षेपण किया गया। संचार के क्षेत्र में इसे भारत की एक अहम उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। दूरसंचार सेवाओं और नौसेना को इससे मदद मिलेगी।
3164 किलो वज़नी जी सैट-15 के साथ संचार ट्रांसपोंडर एवं L-1 एवं L-2 बैंड्स में काम करने वाला जीपीएस युक्त जियो संवर्धित अंतरिक्ष उपकरण भी है। 11 घंटे और 30 मिनट तक निर्बाध चली उल्टी गिनती के बाद एरियन-5 प्रक्षेपक ने तय समयानुसार बुधवार को प्रातः ठीक 3:04 मिनट पर उड़ान भरी । 43 मिनट और 24 सेकण्ड्स की उड़ान के बाद जी सैट-15 एरियन-5 से दीर्घवृत्ताकार भू-समकालिक कक्षा में अलग हो गया, पृथ्वी के सबसे समीप 250 किमी एवं पृथ्वी के सबसे दूर 35,819 किमी की कक्षा में भूमध्य रेखा से 3.9 डिग्री के कोण पर । यह कक्षा तय की गयी कक्षा के बेहद समीप थी।
प्रक्षेपण वाहन से अलग होने के फ़ौरन बाद कर्नाटक में हासन स्थित इसरो के प्रधान नियंत्रण केंद्र (एमसीएफ) ने जी सैट-15 का नियंत्रण एवं संचालन अपने हाथ में ले लिया । प्राथमिक जांच में उपग्रह की स्थिति ठीकठाक पायी गयी।
उपग्रह को भू-स्थिर कक्षा में (भूमध्य रेखा से 36,000 किमी ऊपर) स्थापित करने के लिए आने वाले दिनों में उपग्रह की प्रणोदक व्यवस्था का प्रयोग कर चरणबद्ध तरीके से कक्षा में उन्नयन की युक्तियां क्रियान्वित की जाएंगी।
कक्षा में उन्नयन के पश्चात जीसैट-15 की दो सौर सारणियाँ एवं दोनों एंटीना परावर्तक लगाये जायेंगे । इसके बाद उपग्रह अपनी अंतिम स्थिति में स्थापित हो जायेगा। कक्षा सम्बन्धी परीक्षणों के बाद जीसैट-15 परिचालन के लिए तैयार हो जायेगा।
भारत के संचार उपग्रह जीसैट-15 का सफल प्रक्षेपण
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Updated : 2015-11-12T05:30:00+05:30
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