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जनमानस

देश की कलुषित छवि पेश करने की अक्षम्य गुस्ताखी


समग्र मीडिया को सांप्रदायिक उत्तेजक वातावरण पैदा करने वाले खलनायकों का नाम व छायाचित्र प्रकाशित करने से परहेज करना चाहिए। दादरी काण्ड के कोढ़ में खाज पैदा करने वाले राजनीतिज्ञों संग बौद्धिक जगत के दंभ भरे कुवचनों ने राष्ट्र को शर्मसार कर दिया है।भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की साजिश का आरोप लगाकर संयुक्त राष्ट्र में शिकायत करने की धमकी, आतंकी राष्ट्र पाकिस्तान के रास्ते पर चलने का राष्ट्रद्रोही कृत्य नहीं तो और क्या है? झूठे प्रचार-प्रसार की लत में मदमस्त रहकर अपना अस्तित्व तलाशते हैं ऐसे अस्तित्व को कतई लोकप्रियता की प्राणवायु नहीं मिलनी चाहिए। हिन्दू राष्ट्र बनाने की साजिश के आरोप में राज्य और केंद्र की सत्ता ने कोई दण्ड नहीं सुनाया परंतु जनता जरूर ऐसे सांप्रदायिक वातावरण के पोषकों को सबक सिखायेगी यह निश्चित है।सांप्रदायिक उत्तेजना पैदा करने वालों का सुरक्षा कवच बना कथित सेकुलरवाद देश में असहिष्णुता को बढ़ावा देने की जो कसरत कर रहा है उससे समाज और राष्ट्र को बचाना बेहद जरुरी हो गया है। गौ मांस खाने के सार्वजनिक बोलों को अवसादग्रस्त मनोदशा की रुग्णता घोषित कर कतई मीडिया में जगह नहीं मिलनी चाहिए।धर्म,राजनीति और न्याय के विशेषज्ञ बहुउपयोगी 'गौÓ सेवा की अनमोल संपदा को मानव मूल्यों के यथार्थ में परिभाषित नहीं कर पा रहे तब सिर्फ गौ भक्षक होने और गौ भक्षक बनने के निर्देशों की घोषणा के हकदार या हामीदार कैसे हो सकते हैं।गौ मांस पर तो खाप पंचायत भी ऐसे फैंसले नहीं दे सकती जैसे कि अपने को ज्ञानवान समझने वाले बड़े-बड़े लोग दे रहे हैं। 'गौÓ माता नहीं हो सकती कहने वाले लोगों के लिए सचमुच भारत भूमि भी माता नहीं हो सकती ऐसे लोगों के ह्रदय में माता का 'मर्म' होता तो वे गौ बच्चों को अनाथ करके गौ मांस खाने की कायरता में ढीठ बहादुरी के बोल नहीं बोलते।भगवान कृष्ण ने 'गीता' के उपदेश से पहले गौ 'भक्ति' का आदर्श प्रस्तुत किया था गोपी,ग्वाला और गौ भक्ति ने ज्ञान योग के धुरंधर उद्धव जी को ज्ञान के अहंकार से बाहर किया था।ऐसे ही आज हमारे देश में शिक्षित और ज्ञानी कहे जाने वाले हिन्दू धर्म में गौ मांस खाने के उदाहरण ढूंढ रहे हैं परंतु उन्हें कृष्ण की गौ भक्ति दिखायी नहीं पड़ती। राष्ट्र प्रेम की जगह निजी स्वार्थों के वशीभूत होकर सांप्रदायिक उत्तेजना पैदा करने वाले हिन्दू सनातन धर्म की गहरायी को क्या माप सकते हैं,कदापि नहीं? जब हमारा देश भारत पाकिस्तान के बॅटवारे के बाद भी हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की जिद्द में नहीं पड़ा तब आज पाकिस्तान बॅटवारे की परिस्थितियों के मुकाबले त्याज्य समझे जाने वाले दादरी प्रकरण से हिन्दू राष्ट्र बन जायेगा यह सोचना निरामूर्ख कहलाना नहीं तो और क्या है। संयुक्त राष्ट्र संघ की गंदी सियासत करने वाले ऐसे देशों व व्यक्तियों पर कड़ा रुख लेना चाहिए ताकि ऐसे सिरफिरे जरा-जरा सी बात को तूल बनाकर संयुक्त राष्ट्र को बदनाम न कर सकें और संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतर्राष्ट्रीय स्तर को क्षति पहुँचाने की गुस्ताखी न कर सकें।

हरिओम जोशी

Updated : 8 Oct 2015 12:00 AM GMT
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