आमजन से वसूली, विशेष को छूट क्यों!

ग्वालियर। शहर में यातायात व्यवस्था दिन प्रति दिन बिगड़ती जा रही है। जिन अधिकारियों के कधों पर इसे संभालने की जिम्मेदारी है वह केवल रसीद काटने भर को ही अपनी जिम्मेदारी समझकर इतिश्री कर लेते हैं। जबकि भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर बीच सड़क पर ही भारी वाहन एवं लाल-पीली बत्ती लगे वाहन खड़े रहते हैं।
यदि मोटरव्हीकल एक्ट के नियमों का पालन करते हुए गाड़ी संचालित की जाए तो शहर में नब्बे प्रतिशत गाडिय़ों को बंद करना होगा। इसमें उन लोगों की संख्या अधिक होगी जो अपने रसूख या फिर बर्दीधारी होते हैं। लेकिन यातयात चैंकिग इन पर नजर ही नहीं डालता।
मॉल, सराफा सहित नो पार्किंग में खड़ी रहती हैं गाडिय़ां:- प्राय:देखने में आता है कि सराफा बाजार, दौलतगंज, पुराना हाईकोर्ट, इंदरगज थाना, मॉल सहित कई स्थानों पर बत्ती लगीं गाडिय़ां या पुलिस लिखीं हुईं गाडिय़ों सहित कई रसूखदारों के वाहन नो पार्किंग में खड़े रहते हैं। लेकिन यातायात पुलिस इन पर कोई कार्रवाई नहीं करती वहीं छोटे व दो पहिया वाहनों पर यातायात पुलिस कार्रवाई करती हुई दिखाई देती है।
गुण्डा स्टाईल मेंं करते कार्रवाई:- यातायात पुलिस जब हेलमेट अभियान या सीट बेल्ट का अभियान चलाती है तो उनका जो कार्य करने का तरीका है वह असभ्यतापूर्ण होता है। एक कोने में प्रभारी बैठ जाते हैं।
शेष चार-पांच आरक्षक बिना हेलमेट व बिना सीट बेल्ट वालों की धरपकड़ करते हैं। कार्रवाई के दौरान यह लोग अभद्रता करने से भी नहीं चूकते। जबकि उनकी कार्रवाई से उन लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है जो नियमों का पालन करते हुए गाड़ी संचालित कर रहे होते।
ड्यूटी समय पर ही करते कार्रवाई:- देखने में आया है कि जब कर्मचारी व व्यापारियों को अपने कार्यालय जाने की जल्दी होती है उसी समय यह लोग चैकिंग अभियान चलाते हुए नजर आते हैं। दोपहर के बाद फिर इन्हें बिगड़ती यातायात व्यवस्था की परवाह नहीं होती। हालांकि चैकिंग के दौरान बिगड़ी व्यावस्था पर भी कोई ध्यान नहीं देना चाहता।
नदीगेट व छप्परवाला पुल है मुख्य स्थान:- खास बात यह है कि नदीगेट व छप्परवाला पुल पर ही दोपहर 1 बजे तक यह चैकिंग अभियान चलता है। इस दौरान यह लोग जबरन लोगों की रशीदें बनाते साथ ही अभद्रता व मारपीट करने से भी गुरेज नहीं करते।

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