पूरे वर्ष क्या करता रहा मलेरिया विभाग,डेंगू से हुई मौतों का जिम्मेदार कौन ?

शिवपुरी। शिवपुरी स्वास्थ्य विभाग में पिछले काफी समय से लापरवाही और अंधेरगर्दी के कई कारनामे होते रहे हैं। कभी एक्सपायरी दवा मिलने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी निलंबित हुए, तो कभी अटैचमेंट एवं दवाई घोटालों के कारण विभागीय बाबुओं के कोप का शिकार होकर सीएमएचओ का ट्रांसफर करा दिया गया। कुपोषण टीकाकरण, मलेरिया, डेंगू या अन्य समस्याएं तो यथावत रहीं। स्वास्थ्य विभाग में इन दिनों डेंगू का शोर काफी तेजी से गूंज रहा है।
डेंगू के लिए मलेरिया विभाग को पूरी तरह जिम्मेदार मानना कदापि अनुचित नहीं होगा। ज्ञात हुआ है कि म.प्र. के मात्र कुछ जिलों में ही एन्टीलार्वा योजना विगत कई वर्षों से चल रही है। उन चुनिंदा जिलों में से शिवपुरी जिले में भी एन्टीलार्वा योजना विगत कई वर्षों से चल रही है। एन्टीलार्वा के अन्तर्गत अलग से बायोलॉजिस्ट (जीव शास्त्री अधिकारी), इन्सेक्ट कलेक्टर (लार्वा सैम्पल लेने वाला कर्मचारी) कई सुपरवाइजर, कई फील्ड वर्कर, मलेरिया इंस्पेक्टर इत्यादि अनेकों कर्मचारी और अधिकारी लार्वा सर्वे करने के लिये एवं छिड़काव कराने के लिए पदस्थ हैं। ये सभी अधिकारी कर्मचारी वर्षों से क्या कर रहे हैं? यदि मलेरिया अधिकारी द्वारा एन्टीलार्वा टीम से शुरु से ही सर्वे एवं छिड़काव कार्य कराया जाता तो शायद डेंगू की बीमारी नहीं फैलती।
मलेरिया विभाग की यही लापरवाही ग्रामीण क्षेत्रों में भी उजागर हो रही है। क्योंकि प्रत्येक ब्लॉक में मलेरिया वर्कर एवं लैब टैक्नीशियन तथा अन्य मलेरिया पदस्थ हैं, फिर भी सर्वे एवं छिड़काव कार्य सिर्फ कागजों में होता है। लाखों रुपयों का पैराथ्रम छिड़काव बजट, डीडीटी छिड़काव बजट मलेरिया प्रचार हेतु अनगिनत रथ एवं भ्रमण हेतु अनगिनत वाहनों का लाखों का बजट ये सब कहां जाता है इस बात का जबाव शायद मलेरिया अधिकारी के पास सिर्फ कागजी रूप में मिल सकता है। यथार्थ के धरातल पर यह जबाव पूरी तरह खोखला ही मिलेगा।
वर्तमान में मलेरिया विभाग द्वारा पूरे जिले के सभी ब्लॉकों एवं ग्रामों में पदस्थ स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को बुलाकर शिवपुरी में घर-घर लार्वा सर्वे कराने का आडम्बर कर रहा है। जबकि सच्चाई यह है कि सभी ब्लॉकों में पदस्थ मलेरिया कर्मचारी लार्वा सर्वे ड्यूटी को छोड़कर कुछ गिने चुने स्वास्थ्य कार्यकत्र्ताओं एवं नेत्र से सहायकों की लार्वा सर्वे में ड्यूटी लगाने का आधार बनाकर अचानक निलंबित किया जा रहा है। निलंबित कर्मचारियों को न तो बीएमओं द्वारा ड्यूटी आदेश दिया गया और न ही लिखित में कार्यमुक्त किया गया लेकिन मलेरिया अधिकारी द्वारा इनके निलबंन की कार्यवाही जरुर कराई गई। इसी प्रकार नेत्र सहायक को भी निलम्बित कराया गया।
नेत्र सहायकों व एमपीडब्लू ने बताया कि हमारे अलावा भी कई कर्मचािरयों की ड्यूटी लगाई गई थी, वे अभी तक अनुस्थित है परन्तु सिर्फ हमें ही निलम्बित किया गया है। सर्वे में ड्यूटी होने के बाद भी अपने चिरपरिचितों को लार्वा सर्वे ड्यूटी से मुक्त रखना तथा कुछ गिने चुने कर्मचारियों को निलम्बित करवाना पूरी तरह अन्यायपूर्ण है। स्वास्थ्य विभाग का सर्वाधिक अनोखा कारनामा तो यह है कि 6 एमपीडब्यू को निलम्बित तो कर दिया लेकिन किसी को भी विभागीय रूप से लिखित में निलम्बन पत्र नहींं सौंपा क्योंकि इस प्रक्रिया में क्षेत्रीय बीएमओ दोषी साबित हो रहे थे इसलिये निलम्बित कर्मचारियों लिखित में निलम्बन आदेश नहीं नहीं सौंपा गया। परन्तु ड्यूटी से अनुपस्थित रहने का आधार बनाकर नेट पर निलम्बन आदेश प्रसारित करने के बाद भी सभी निलम्बित कर्मचारियों को निलम्बन आदेश में उल्लेखित अनुपस्थित दिनांक को ही उपस्थिति रजिस्ट्ररों में हस्ताक्षर कराते हुये निरन्तर 26 सितम्बर से अभी तक उपस्थित माना जा रहा है तथा लार्वा सर्वे में ड्यूटी कराई जा रही है एवं भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है कि निलम्बित कर्मचारियों के विरुद्ध की गई कार्यवाही वापस ली गई है
स्वास्थ्य विभाग एवं मलेरिया की इस गोलमाल कार्रवाई से सभी कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है। अन्य ब्लॉकों से आकर विगत कई दिनों से लार्वा सर्वे में ड्यूटी कर रहे सभी कर्मचारियों को रहने, खाने इत्यादि की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। मात्र सीएमएचओ का ट्रांसफर होने से या कुछ गिने चुने स्वास्थ्य कार्यकत्र्ताओं और नेत्र सहायकों को निलम्बित कराने से मलेरिया विभाग का दोष छिप नहीं सकता है। वरिष्ठ प्रशासन मलेरिया अधिकारी एवं मलेरिया विभाग में ही पदस्थ एन्टी लार्वा टीम के अधिकारियों और कर्मचािरयों केे विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है यह विषय अभी तक अनुत्तरित है। लेकिन दोषियों को अभयदान देना भी अनुचित है।