पुरखों की स्मृति में बना पितृवन हुआ वीरान

नहीं हो रही पेड़- पौधों की देखभाल
प्रशांत शर्मा/ग्वालियर। पितृपक्ष में जहां लोग अपने पुरखों की आत्म शांति के लिए तर्पण कर श्राद्ध कर रहे हंै, तो उधर साडा क्षेत्र में बनाए गए पितृवन मेें े पूर्वजों की स्मृति में रोपे गए पौधों को लगाने वाले लोग उन्हें रोपने के बाद उनकी देखरेख करना भूल चुके है।
उल्लेखनीय है कि साडा क्षेत्र में वर्ष 2008 में पितृवन की स्थापना की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य हरियाली को बढा़वा देने के साथ ही पर्यावरण को बचाना और पूर्वजों की यादों को संजोए रखना था। पहली बार में 13 हजार से अधिक पौधे लगाए गए थे। इनमें से कुछ पौधे तो पेड़ का रुप लेकर भगवान भरोसे खड़े हो गए, वहीं अधिकाशं रोपे गए पौधे पानी और देखरेख के अभाव में नष्ट हो गए हंै।
तिघरा की ओर जाने वाले मार्ग पर स्थित इस पितृवन में लगभग 13 हजार पौधे लगाए गए थे। लेकिन उसके बाद से शहरवासियों ने अपने पूर्वजों की याद में पौधरोपण करने में कोई रुचि नहीं दिखाई। इसका एक कारण पितृवन का शहर से दूर होना भी माना जाता है। वर्तमान में पितृवन पूरी तरह से वीरान दिखाई देता है और यहां आवारा पशु घूमते रहते हैं। अधिकांश हरियाली को पशु अपना आहार बना लेते हैं।
सात वर्ष पूर्व हुआ था शुभारंभ
हरियाली के लिए साडा क्षेत्र में 11 सितंबर 2008 में पितृवन बनाया गया था। यहां उस समय जिन पौधो का रोपण किया गया था। वे अब बड़े होकर छायादार वृक्ष बन गए हैं। इस वन की सराहना तत्कालीन जिलाधीश आकाश त्रिपाठी ने भी की थी। उन्होंने विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अधिकारियों से कहा था कि पितृवन पर्यावरण संरक्षण एवं संस्कृति का अनूठा संगम होगा। लेकिन ऐसा संगम पितृवन में होता दिखाई नहीं दे रहा है।
भगवान भरोसे है पौधों की देखरेख
विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण में बने पितृवन में अधिकांश स्थानों में पौधरोपण के बाद सुरक्षा की ओर ध्यान ही नहीं दिया जाता। यही वजह है कि पौधे पनप ही नहीं पाते। वहीं पौधों को पशुओं से बचाने के लिए यहां तार फैसिंग करवाई गई थी। लेकिन आज स्थिति यह है कि वहां सामने की ओर के तार ही गायब हैं जिसके चलते वहां पशु आसानी से घुस कर पेड़ -पौधों को आहार बना रहे हंै।
251 रुपए शुल्क निर्धरित किया था
साडा के मीडिया प्रभारी नवल सिंह राजपूत ने बताया कि साडा क्षेत्र में बने पितृवन में पौधे लगाने के लिए प्राधिकरण द्वारा 251 रूपए का शुल्क निर्धारित किया गया है जिसमें पौधे लगाने वाले एवं जिनकी स्मृति में पौधा लगाया जा रहा है की नाम पट्टिका भी लगी रहेगी। लेकिन अपने पुरखों की स्मृति में यहां पौधे लगाने के लिए जहां कोई भी व्यक्ति रुचि नहीं ले रहा वहीं साडा के अधिकारी भी लापरवाही बरत रहे हैं।
इन्होंने कहा
मैने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दे दिए हंै,जल्द ही यहां पर तार फैसिंग करवा दी जाएगी। ताकि जानवर अंदर न घुस सकें।
राकेश जादौन
अध्यक्ष, विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण