जनमानस
पाकिस्तान की मानसिकता या दोगलापन
पाकिस्तान के पेशावर प्रांत में स्कूली बच्चों पर जिहादी तालिबानियों के द्वारा दिये गए घाव अभी सूखे भी नहीं थे कि पाकिस्तानी मानसिकता के दोगलेपन का एक घिनौना तथा वीभत्स चेहरा उस समय सामने आया जब मुम्बई हमलों के मास्टर माइंड कहे जाने वाले लश्करे तौयबा के खंूखार आतंकी मो. लखवी को पाकिस्तान की जेल से रिहा करने के आदेश वहां के न्यायालय ने दिए। (आखिर अभी वह जेल में ही रहेगा) अभी केवल चौबीस घण्टे भी नहीं हुए थे कि जब नवाज शरीफ दुनिया के सामने आंसुओं से तर-ब-तर चेहरा लिए यह घोषणा कर रहे थे कि वह तालिबानियों को दुनिया से समाप्त कर के ही दम लेंगे। पाकिस्तान क्या इसी दम पर आतंकवाद को समाप्त करेगा कि भारत पर हमला करने वाले आतंकियों को जेलों से आजाद करे, ताकि वह भारत पर हमला करने के नये-नये षड्यंत्र करे और तालिबानियों को इस कारण नेस्तनाबूत करे क्योंकि उनने पेशावर में बच्चों पर जिहादी हमला किया है? क्या ऐसी दोगली नीतियों से जिहादी आतंकवाद समाप्त हो पायेगा? या फिर आतंकवाद की नीतियां भारत के लिए कुछ और अपने लिए कुछ और रहेंगी। पाकिस्तान की इस दोगली नीतियों को समझने के लिए इस चर्चा को विस्तार से परन्तु तथ्यात्मक ढंग से समझने की आवश्यकता है। आतंकवाद पाकिस्तान एवं इस्लामी मानसिकता की मुख्य पहचान और मूल स्वभाव है। आज पूरी दुनिया में लगभग 60 इस्लामिक देश हैं और उनकी आबादी लगभग 2 अरब से ज्यादा है। इन सभी देशों में आतंकवाद या दहशतगर्द की ही तालीम जन्म के साथ मुस्लिम बच्चों को दी जाती है। इन देशों के नागरिकों को आधुनिक शिक्षा, ज्ञान-विज्ञान, संगीत, कला या साहित्य से कोई लेना देना नहीं है और इन सब को अपनाने वाले मुसलमानों को पाकिस्तान तथा इस्लामिक देशों में मुसलमान माना भी नहीं जाता। भारतीय मुसलमान इस जिहादी एवं जहरीली बीमारी से कुछ हद तक अछूता है, परन्तु पाकिस्तान में इन सभी वहशियाना शरीयतों का पूर्ण पालन करना अनिवार्य है। इस कारण पाकिस्तान में जन्म लेने वाला बच्चा और उस बच्चे को तालीम देने वाला शिक्षक दोनों ही सरकारों से दहशतगर्दी मानसिकता के होते हैं। भारतीय मुसलमान इन (शरीयताई) बीमारी से कुछ हद तक इस कारण अछूते हैं, क्योंकि भारतीय मुसलमान अभी भी अपनी मूल भारतीय संस्कृति और संस्कारों से परिपूर्ण है। दहशतगर्दी को पाकिस्तान छोड़ ही नहीं सकता, चाहे पेशावर से भी ज्यादा वहशियाना वारदात तालिबानी पाकिस्तान या दुनिया के साथ करते रहें, क्योंकि अगर पाकिस्तान इन दहशतगर्दी आदत को छोड़ देगा तो फिर उसके पास दुनिया को दिखाने की कोई अन्य विशेषता ही नहीं है तथा दहशतगर्दी और दोगलेपन का चोली-दामन का साथ होता है। इस कारण पाकिस्तान तथा इस्लामिक जिहादी दोगली नीतियों को ही अपनाते हैं। पाकिस्तान में अगर पेशावर हमले के चौबीस घंटों के अंदर ही पाकिस्तानी जेलों से लखवी को आजाद किया जा रहा है या मो. हाफिज शहीद को आजाद घूमने दिया जा रहा है तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए। यह तो उसका अपने स्वभाव एवं नीतियों के अनुसार ही उठाया गया कदम है।
अभिषेक मिश्रा, ग्वालियर