Home > Archived > जनमानस

जनमानस

सहिष्णुता है हिन्दुत्व की विशेषता


दुनिया में हिन्दुस्तान से बेहतर शायद ही कोई दूसरी जगह हो, जहां पर 'कबीर' से लेकर 'पीके' तक सहिष्णुता का इतना समृद्ध इतिहास एवं आधार मौजूद हो। यह वही जमीन है जहां पर सदियों पहले कबीर ने 'पाहन पूजे हरि मिलें, तो मैं पूजों पहार' एवं 'ता चढ़ मुल्ला बाग दे, क्या बहरा हुआ खुदाय' जैसे दोहों के माध्यम से समाज में व्याप्त आडम्बर, कुरीतियों एवं रूढिय़ों पर प्रहार तथा असत्य का खण्डन करने की हिम्मत की। कबीर की इस स्वस्थ एवं सारगर्भित आलोचना को न केवल स्वीकार किया गया, बल्कि आज भी उनके दर्शन का प्रचार एवं प्रसार सतत् रूप से किया जा रहा है। संसार में इतनी सीधी लेकिन कठोर आलोचना एवं उसे स्वीकार करने की क्षमता का दूसरा उदाहरण देखने को नहीं मिलेगा।
'चार्ली हेब्दो' प्रकरण के बाद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर पूरी दुनिया में आरोपों एवं प्रत्यारोपों का दौर जारी है। इस प्रकरण को लेकर हर किसी की अपनी एक राय है। यहां तक कि 'पोप' ने भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर आक्रामक बयान दिया है। यदि हम व्यंग्य की बात करें तो अपने यहां हरीशंकर परसाई, शरद जोशी, श्रीलाल शुक्ल आदि व्यंग्यकारों ने शायद ही कोई क्षेत्र छोड़ा हो, जिस पर इनके द्वारा आक्रामक प्रहार न किये गये हों। इन व्यंग्यकारों ने आर्थिक, राजनैतिक एवं धार्मिक सभी क्षेत्रों में व्याप्त विसंगतियों एवं कमियों को इस तरह से उजागर किया है कि पढऩे के बाद आप यह सोचने पर मजबूर हो जायेंगे कि यह व्यंग्य है या हकीकत। यदि हम सहिष्णु न होते तो 'पीके' सफलता के इतने कीर्तिमान स्थापित न कर रही होती एवं श्रीलाल शुक्ल, 'राग-दरबारी' जैसा उपन्यास लिखने की हिम्मत न करते। कबीर के दर्शन को स्वीकार करना एवं श्रीलाल शुक्ल के उपन्यास 'राग-दरबारी' को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिलना हमारी सहिष्णुता एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सबसे बड़ा उदाहरण है। असली हिन्दुत्व में असहिष्णुता एवं कट्टरता के लिए कोई जगह नहीं है, क्योंकि त्याग, बलिदान, सत्य, अनुशासन, परोपकार, मानवीय पे्रम एवं अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना ही हिन्दुत्व का मूल आधार है, इसलिए अहिंसा एवं सहिष्णुता ही हिन्दुत्व की ताकत एवं असली पहचान है।

प्रो. एस.के.सिंह, ग्वालियर

Updated : 21 Jan 2015 12:00 AM GMT
Next Story
Top