प्रदेश में रोजाना गायब हो रहे 24 बच्चे : रिपोर्ट

पिछले 8 सालों में मप्र से 75 हजार से अधिक बच्चे लापता

भोपाल। एक ओर जहां प्रदेश विकासशील से विकसित राज्यों की ओर तेजी से बढ़ रहा है, वहीं प्रदेश में अपराध कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। आलम यह है कि प्रदेश में रोजाना 24 बच्चे गायब हो रहे हैं। यही नहीं विगत 8 सालों में सूबे से करीब 75 हजार बच्चे लापता हो चुके हैं। इसमें खास बात यह कि लापता होने वाले बच्चों में आदिवासी क्षेत्रों के बच्चों की संख्या सबसे अधिक है।
आंकड़ों की मानें तो अब तक 75521 बालक-बालिकाएं गायब हो चुके हैं, जिनका अभी तक पता नहीं लग सकता है। यह खुलासा किया है स्वयंसेवी संस्था विकास संवाद की एक रिपोर्ट ने।
संस्था के मुताबिक मप्र में बच्चों को गायब करने में कई गिरोह काम कर रहे हैं। इनका बड़ा नेटवर्क प्रदेश में काम कर रहा है। बताया जाता है कि ऐसे गिरोह न तो एक दूसरे के काम में हस्तक्षेप करते हैं, न ही एक दूसरे की सीमाओं का उल्लंघन। संस्था की कोर्डीनेटर संगीता चौहान के मुताबिक, पिछले 8 सालों में प्रदेश से करीब 75 हजार 521 बालक-बालिकाएं गायब हो चुके हैं।

बाल व्यापार में मप्र सबसे आगे
आंकड़ों पर गौर करें तो बाल व्यापार में मप्र अब चिंताजनक स्थिति में पहुंच रहा है। आदिवासी क्षेत्रों से बालक-बालिकाओं के खो जाने का सिलिसिला ज्यादा बड़े पैमाने पर है। आदिवासी क्षेत्रों से 9 सालों से गायब होने वाले बालक-बालिकाओं में से 44 प्रतिशत बालिकाओं का कहीं पता नहीं है। मप्र में वर्ष 2005 से 2010 के बीच में 2965 बच्चों के अपहरण के मामले दर्ज किए गए। इनमें से 89-5 प्रतिशत लड़कियों के अपहरण के मामले हैं। मध्यप्रदेश से बच्चे केवल जा नहीं रहे हैं, बल्कि आ भी रहे हैं। प. बंगाल के ही अलग-अलग जिलों से 37 बच्चों को इंदौर जिले से रेस्क्यू किया गया, जो कि सराफा जैसे क्षेत्र में बाल मजूरी करते पाए गए। वहीं इंदौर में ही 19 बच्चों को बाल मजदूरी करते पकड़ा गया था। यह उप्र से लाए गए थे।

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