जनमानस
मोदी सरकार का अनुशासित राज
- ब्रह्मजीत सिंह कुशवाह
जब से केन्द्र में भाजपानीत मोदी सरकार आई है तब से देश में सकारात्मक माहौल देखने को मिल रहा है। यह सरकार नीतिगत निर्णय लेने में सक्षम दिखाई पड़ रही है और खास बात यह है कि ये निर्णय सही समय पर लिये जा रहे हैं। इस प्रकार की सकारात्मक व निर्णय क्षमता का पिछली सरकार में सर्वथा अभाव पाया जाता था। आज की स्थिति में सरकार के अधिकांशत: निर्णय कारगर व सही प्रतीत हो रहे हैं। सरकार के काम करने का आलम यह है कि हर मंत्री अपने कार्य को बहुत ही लगन व मेहनत से करता दिखाई देता है। इसका उदाहरण देश के पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान द्वारा वी.आई.पी. लोगों को सब्सिडी वाला गैस सिलेण्डर छोडऩे के लिए फोन कर आग्रह करने से मिलता है जिसका असर भी देखने को मिल रहा है। आज की राजनीति में एक छोटा सा कार्यकर्ता भी अपने मान-सम्मान की बात करता है तो देश का केन्द्रीय मंत्री होकर यदि व्यक्ति इस तरह देश सेवा करता है तो यकीनन नेतृत्व की ही जीत मानी जाएगी। एक और उदाहरण बंगाल समिट में देखने को मिला जब केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली इस समिट में शामिल होने गए जबकि पिछले दस वर्षों में यूपीए सरकार का एक भी मंत्री गुजरात समिट में शामिल नहीं हुआ। मतलब साफ है कि विरोध राजनैतिक हो सकता है लेकिन देश के विकास की कीमत पर नहीं। जिसे शायद पिछली सरकार तुष्टीकरण की नीति में फंसकर समझ ही नहीं पाई और देश को विकास की ओर न ले जाकर घोटालों की ओर ले गई।
पिछले कुछ वर्षों में अक्सर यह देखने को मिला कि पड़ोसी देशों द्वारा हमारे सैनिकों को मौत के घाट उतारकर उन्हें अपमानित करने जैसे कई कृत्य हुए। पर तब की सरकार इस ओर कोई ठोस निर्णय न ले सकी और विश्व में देश की सुरक्षा को लेकर बहुत किरकिरी हुई। आज स्थिति में साफतौर पर बदलाव महसूस किया जा सकता है। पाकिस्तान की नापाक हरकतों का उसी की भाषा में जवाब देकर सरकार ने देश और खासकर सैन्य बलों को एक सकारात्मक संदेश दिया है कि कोई भी हमें आंख नहीं दिखा सकता। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की कार्यशैली स्तरीय है कि वे साफ शब्दों में सरकार के सन्देश को देश तथा दुश्मन दोनों तक स्पष्ट पहुंचा पा रहे हैं। संदेश साफ है कि हम किसी से नहीं डरते और न ही हमारे देशवासियों को कोई परेशान कर सकता है। यह भी सकारात्मक सन्देश है जो कि सरकार की कार्यशैली से परिलक्षित होता है।
सकारात्मक माहौल की बात करें तो सत्तारूढ़ दल लोकसभा चुनाव के बाद हुए सभी विधानसभा चुनावों में या तो विजयी हुआ है या फिर सबसे बड़ा दल बनकर उभरा है। संकेत साफ है कि आज भी देशवासी सरकार की कार्यशैली से सहमति रखते हैं और उससे संतुष्ट भी हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कार्यशैली भारतीय राजनीति में मील का पत्थर साबित हो रही है। जति की व भाई-भतीजावाद की राजनीति कर अपने को जातिवादी मसीहा कहलाने वाले राजपुरुष आज-कल बहुत परेशान हैं। अपनी राजनीति को संकट में पाकर कई दल आपस में एकीकृत होने तक की बात करने लगे हैंं। कल तक साम्प्रदायिकता का प्रणाम-पत्र देने वाले दल भी आज जातिवाद व साम्प्रदायिकता पर मौन धारण कर चुके हैं। इससे एक बात तो स्पष्ट है कि देश अब जातिवाद व साम्प्रदायिकता जैसे जुमलों से ऊब चुका है। अब उसे विकास की सकारात्मक राजनीति चाहिए और सकारात्मक विचारों की विकासशील राजनीति के पुरोधा के तौर पर नरेन्द्र मोदी का उदय हुआ है। इसीलिए आज देश में तथा देशवासियों के लिए विश्व में सकारात्मकता का माहौल है।