कौन हैं नूपुर शर्मा?

कौन हैं नूपुर शर्मा?
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नई दिल्ली । दिल्ली चुनाव की तारीखों के एलान के साथ राजधानी दिल्ली की नई दिल्ली विधानसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार को लेकर बहुत से कयास लगाए जा रहे थे. शाजिया इल्मी,जया प्रदा से लेकर किरन बेदी तक के नाम चर्चा में रहे. नई दिल्ली विधानसभा सीट पर आखिरकार जिसकी चर्चा थी वही हुआ है. इस सीट पर मुकाबला लेडीज वर्सेस केजरीवाल होगा. कांग्रेस ने पहले ही पूर्व मंत्री किरन वालिया को उतारा था तो बीजेपी ने सबसे युवा चेहरा नूपुर शर्मा को उतारा है. नूपुर शर्मा डूसू की अध्यक्ष रह चुकी हैं.केजरीवाल के खिलाफ नूपुर शर्मा के नाम का एलान होते ही नूपुर शर्मा ने कहा कि मैं केजरीवाल के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ूंगी, मुझे दिल्ली की स्थानीय नागरिक होने का फायदा मिलेगा.नूपुर के पिता ने कहा, मुझे अपनी बेटी पर गर्व है. हालांकि यह बहुत कठिन मुकाबला है. एक पिता होने के नाते मेरा कहना है कि वह केजरीवाल को कड़ी टक्कर देगी.वहीं नूपुर की मां का कहना है कि वह एक युवा चेहरा हैं, वह कड़ी टक्कर देगी और मुझे उस पर गर्व है.नई दिल्ली सीट पर कुल वोटर 1 लाख 36 हजार हैं. इनमें से 75 हजार पुरुष और 61 हजार महिला वोटर हैं. इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा सरकारी कर्मचारी वोटर हैं. जातीय हिसाब से देखें तो वैश्य, पंजाबी और पिछड़ी जाति के वोटर सबसे ज्यादा संख्या में हैं।

कौन हैं नूपुर शर्मा?

31 साल की नूपुर शर्मा दिल्ली विश्विद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष रह चुकी हैं. दो हजार आठ के डूसू चुनाव में नूपुर एबीवीपी के अपने पैनल में जीतने वाली अकेली उम्मीदवार थीं.चार में से तीन पदों पर NSUI को जीत मिली थी और नूपुर ABVP से अकेले अध्यक्ष पद पर करीब 1300 वोटों से जीती थीं. 2010 में नूपुर छात्र राजनीति से निकलने के बाद बीजेपी यूवा मोर्चा में सक्रिय हुईं और उन्हें मोर्चा में राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी का जिम्मा सौंपा गया.नूपुर अभी दिल्ली बीजेपी कार्यसमिति की सदस्य भी हैं. पेशे से वकील नूपुर लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई कर चुकी हैं. बर्लिन में भी उन्होंने पढ़ाई की है। नूपुर पिछले चुनाव में भी बीजेपी के टिकट की दावेदार रह चुकी हैं।

क्या है नई दिल्ली सीट का इतिहास?

आपको बता दें कि नई दिल्ली विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी. पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित यहां से लगातार तीन बार जीती थीं, मगर 10 दिसंबर, 2013 को हुए चुनाव में उन्हें पहली बार चुनाव में उतरे अरविंद केजरीवाल ने 20,000 से अधिक मतों से हराकर देश को स्तब्ध कर दिया था.साल 2013 में दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 32,आप को 28, कांग्रेस को आठ और अन्य के खाते में दो सीटें गई थीं. उस समय कांग्रेस के समर्थन से आप ने सरकार ने बनाई थी जो 49 दिनों तक चली और फिर दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया.



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