इशरत जहां मुठभेड़: अमीन की जमानत याचिका खारिज


नई दिल्ली | उच्चतम न्यायालय ने 2004 के इशरत जहां मुठभेड़ कांड में अभियुक्त गुजरात काडर के पुलिस अधिकारी एन के अमीन की जमानत याचिका आज खारिज कर दी। न्यामयूर्ति वी गोपाल गौडा और न्यायमूर्ति सी जगप्पन की खंडपीठ ने कहा कि अपील में कोई तथ्य नहीं है। इसलिए इसे खारिज किया जाता है।
अमीन ने सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड कांड में जमानत मिल जाने के बाद इशरत जहां मुठभेड कांड में जमानत से इंकार करने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी। इससे पहले, सीबीआई ने सोहराबुददीन शेख मामले में अमीन की जमानत रदद करने के लिये जोर नहीं दिया था। जांच ब्यूरो का कहना था कि इस मामले में दूसरे अभियुक्तों को पहले ही जमानत मिल चुकी है।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 11 नवंबर को अमीन की जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी की थी। अमीन का तर्क था कि चूंकि जांच ब्यूरो ने 90 दिन के भीतर पूरा आरोप पत्र दाखिल नहीं किया था, इसलिए वह राहत के हकदार है। सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड मामले में सह आरोपी अमीन को इशरत जहां मुठभेड़ कांड में 4 अप्रैल, 2013 को गिरफ्तार किया गया था।
अदालत में दाखिल आरोप पत्र में अमीन और छह अन्य पुलिस अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने मुंबई निवासी 19 वर्षीय इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लई, जीशान जौहर और अमजद अली राणा को 2004 में फर्जी मुठभेड में मार दिया था। आरोप है कि राज्य पुलिस और गुप्तचर ब्यूरो के संयुक्त अभियान में अमीन ने इशरत और जावेद को मुठभेड में हत्या से दो दिन पहले वलसाड से कथित रूप से अगवा किया था।
इस मामले में आईपीएस अधिकारी जीएस सिंघल, सेवानिवत्त पुलिस उपायुक्त जेजी परमार, मेहसाणा के पुलिस उपाधीक्षक तरुण बरोट और कमांडो अनजू चौधरी को सीबीआई अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया था क्योंकि जांच ब्यूरो उनकी गिरफ्तारी के 90 दिन के भीतर आरोप पत्र दाखिल नहीं कर सका था।

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