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फिर तीन माह के लिए टला बिजली का निजीकरण

अब निगम चुनाव के बाद 15 दिसम्बर को आएगी फेंचाइजी

ग्वालियर। बिजली के निजीकरण का मामला एक बार फिर तीन माह के लिए टल गया है। इस बार यह निर्णय राजनैतिक कारणों के चलते लिया गया है। उल्लेखनीय है कि फें्रचाइजी कम्पनी एस्सेल गु्रप को शहर की विद्युत वितरण व्यवस्था सौंपने के लिए 15 सितम्बर की तारीख प्रस्तावित है। चूंकि शहर की जनता निजीकरण के खिलाफ खड़ी नजर आ रही है। विशेषकर तमाम सामाजिक संगठनों के साथ शहर के व्यापारी संगठन भी इसका विरोध कर रहे हैं। विपक्षी दल कांग्रेस इस मौके का लाभ उठाने के लिए निजीकरण के खिलाफ श्रंखलाबद्ध आंदोलन कर रही है। कांग्रेस के अलावा माकपा, भाकपा, सपा, बसपा, आम आदमी पार्टी आदि छोटे दल भी इस मुद्दे को लेकर भाजपा के खिलाफ शहर की जनता को बरगलाने के लिए मैदान में कूद पड़े हैं। इधर शासन ने आगामी तीन माह के लिए बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया टाल दी है। हालांकि इस सम्बंध में अभी कोई आदेश जारी नहीं हुआ है, लेकिन विभागीय सूत्रों के अनुसार म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी भोपाल के प्रबंध संचालक ने निजीकरण की प्रक्रिया 15 दिसम्बर तक के लिए टाल दी है। इस सम्बंध में शीघ्र ही आदेश भी जारी किया जा सकता है।
यहां बताना उपयुक्त होगा कि तीन शहरों ग्वालियर, सागर, उज्जैन की बिजली व्यवस्था निजी हाथों में सौंपने के लिए राज्य शासन ने अपै्रल 2012 में एस्सेल गु्रप के साथ अनुबंध किया था, जिसके अनुसार एस्सेल गु्रप को सितम्बर 2012 में ही यहां की बिजली व्यवस्था संभालना थी। हालांकि उसने 1 सितम्बर 2012 को सागर और 1 अगस्त 2014 को उज्जैन की बिजली अपने हाथों में ले ली थी, लेकिन कम राजस्व वसूली और भारी विद्युत वितरण हानि को ध्यान में रखकर एस्सेल गु्रप ग्वालियर की बिजली व्यवस्था संभालने से पीछे हटता रहा, लेकिन आर-एपीडीआरपी योजना के अंतर्गत 254 करोड़ की लागत से व्यापक स्तर पर कराए गए विद्युत सुधार कार्यों के परिणाम स्वरूप विद्युत वितरण हानि कम होने के साथ पिछले दो माह में आश्चर्य जनक रूप से बढ़ी राजस्व वसूली से प्रभावित होकर यह गु्रप 15 सितम्बर को शहर की बिजली व्यवस्था संभालने के लिए तैयार था, लेकिन इस बार स्थानीय भाजपा नेताओं ने उसका रास्ता रोक दिया।

इनका कहना है

''हाल ही में भोपाल में सम्पन्न हुई भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में मैंने मुख्यमंत्री से यह आग्रह किया था कि बिजली के निजीकरण से ग्वालियर का हित नहीं होगा। मैंने उनसे इस विषय पर पुनर्विचार का निवेदन भी किया था। इस पर मुख्यमंत्री ने पुनर्विचार का आश्वासन भी दिया था।
अभय चौधरी
भाजपा जिलाध्यक्ष

Updated : 9 Sep 2014 12:00 AM GMT
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