जनमानस
अंग्रेजी की चिन्दी और हिन्दी की बिन्दी
भारत की प्रचलित भाषाओं में हिन्दी भाषा शिरोमणि के रूप में मान्य की गई है, क्योंकि देश के कोने-कोने में इस भाषा को सभी लोग आसानी से बोल लेते हैं और पढऩे-लिखने में भी कोई कठिनाई नहीं होती, इसकी देव नागरी लिपि के स्वर व्यंजन के अक्षरों को नन्हें से बालकगण बहुत कम समय में लिख लेते हैं और तुतली-तुतली बोली में हिन्दी की कहानियाँ, कविताएं याद कर लेते हैं। हिन्दी भाषा की सबसे बड़ी विशेषताएं यह है कि जो पढ़ो सो लिखों और जो लिखो सो पढ़ो, जबकि अंग्रेजी में इसका उल्टा होता है, जैसे स्पेलिंग कुछ और उच्चारण कुछ तथा उसका अर्थ भी कुछ और ही निकलता है, जैसे यू एक शब्द हैं जो मानव तो क्या भगवान के लिए भी यू लगाया जाता है, जबकि हिन्दी में तू, तुम, आप, श्रीमान आदि शब्द आदर भाव लिए हुए है। ये सर्वमान्य है कि हम हिन्दी के साथ-साथ अन्य भाषाओं को सीखे, समझें किन्तु हिन्दी की अनिवार्यता को इसलिए सीखना जरूरी है कि इस भाषा का साहित्य वेद पुराणों में महाभारत में तुलसी के रामचरित मानस में और देश के प्रसिद्ध महाकाव्यों में अवतरित है, जिसके परिणामस्वरूप आज हमारे भारत की संस्कृति और विज्ञान सभी की शिक्षा इसमें समाई हुई है। भारतीय संविधान की धारा 342 में भी हिन्दी को मातृ भाषा बनाने पर उल्लेखित है, तो हम क्यों न कहें कि अंग्रेजी की चिन्दी और हिन्दी को माथे की बिन्दी बनाकर इसको विश्व में श्रेष्ठ स्थान दिलाएं। यही हमारा संकल्प होना चाहिए।
हजारीलाल वर्मा, शिवपुरी