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जनमानस

देश का स्वाभाविक मित्र नहीं अमेरिका

नेहरू युग में, शाजी युग में जापान, जर्मनी, रूस, नेपाल, आस्ट्रेलिया से इंदिरा गांधी के बाद सन् 77 में मोरारजी और बाद में अटलजी के समय अमेरिका एवं अमरीकी समर्थक राष्ट्रों के प्रति ज्यादा लगाव ज्यादा झुकाव एवं अधिक नजदीकी संबंध रहे, परन्तु नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से हमारा झुकाव फिर रूस समर्थक देशों से अधिक अटूटता के संबंध बन रहे हैं। अमेरिका से जितना अधिक दूर रहा जापान, उतना लाभ हमें अधिक अर्जित होगा। दूसरा चीन-पाक और बांग्लादेश हमारे प्रति सोच बदलने के लिए विवश हो सकते हैं। विश्वसनीय साथी होने से दुश्मन भी कमजोर हो सकते हैं। अमेरिका देश में बढ़ती हुई महंगाई का मूल कारण है। अमेरिका हमारे देश में बेरोजगारी बढ़ाने के लिए क्या-क्या नहीं कर रहा है, जबकि जापान ने हमारे यहां कामकाज की संभावनाएं बढ़ाई है। हमारे देश के प्रशासनिक ढांचे में नैतिकता एवं ईमानदारी की शुरुआत करने में हमें जापान सबसे अधिक प्रेरणा प्रदान कर सकता है।

उमेश अग्रवाल, मुरैना

Updated : 23 Sep 2014 12:00 AM GMT
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