जनमानस
वर्तमान शिक्षा का औचित्य?
स्कूल-कॉलेजों के पाठ्यक्रम में गीता, रामायण के सुझाव शिक्षा एवं भागवत् गीता, श्रीकृष्ण की प्रेरणा जैसे विषयों की आवश्यकता नहीं है, इस प्रकार की शिक्षा से बच्चों का विकास नहीं होगा, आज के युग में ऐसी शिक्षा की बच्चों को कोई उपयोगिता नहीं है। अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, कम्प्यूटर के इस युग में ऐसी धार्मिक, पौराणिक शिक्षा अर्थहीन है। आज इंटरनेट, मोबाइल का युग है। माता-पिता उनके अभिभावक अपने बच्चों को धार्मिंक सांस्कृतिक शिक्षा घर पर ही दे सकते हैं। रामायण, महाभारत जैसे पौराणिक ग्रंथों की शिक्षा, संस्कार बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल करना अनुचित है। आज का युवा वर्ग भी किसी शिक्षा प्राप्त करने में कोई दिलचस्पी, इच्छा नहीं रखता है। जो लोग स्कूली पाठ्यक्रम में ऐसी शिक्षा देने की मान्यता रखते हैं, उनकी सोच सदियों पुरानी आज के लिए बच्चों के भविष्य के लिए अर्थहीन है।
अनिल अग्रवाल, भिण्ड