Home > Archived > जनमानस

जनमानस

शिक्षा का भारतीयकरण आवश्यक


वर्षों से चाटुकार इतिहासकारों द्वारा सनातन धर्म और हिन्दू की गलत व्याख्या की गई है। आज वही व्याख्या एनसीईआरटी और राज्य की पुस्तकों में है जिसे बच्चे पढ़ रहे हैं। चूंकि हिन्दू और सनातन धर्म की जो सत्य व्याख्या है वह हमारे देश के बच्चों तक नहीं पहुंच पा रही है और वे झूठ को ही सत्य मान रहे हैं। मेरा सुझाव है कि इन पुस्तकों से इस प्रकार की सामग्री तत्काल प्रभाव से केन्द्र सरकार हटाए क्योंकि हमारी वर्तमान व आने वाली पीढ़ी अपने सत्य को न जानकर झूठ को जान रही है, जो हमारे समाज के लिए खतरा है।

अनूप कुमार यादव, शिवपुरी

Updated : 18 Sep 2014 12:00 AM GMT
Next Story
Top