बीमा विधेयक पर सर्वदलीय बैठक में नहीं बनी सहमति, मतभेद बरकरार

बीमा विधेयक पर सर्वदलीय बैठक में नहीं बनी सहमति, मतभेद बरकरार

नई दिल्ली । विवादास्पद बीमा संशोधन विधेयक पर आज सुबह हुई सर्वदलीय बैठक में मतभेद दूर नहीं किये जा सके। इस विधेयक पर आज राज्यसभा में चर्चा कराई जानी थी। बैठक में शामिल नेता इस बात पर सहमत हुए हैं कि इस विषय पर नेताओं के बीच अगले दो दिन में फिर बैठक होगी, क्योंकि संसद भवन में आज हुई बैठक में कोई बात तय नहीं हो सकी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता प्रफुल्ल पटेल ने बैठक के बाद कहा, इस बैठक में कुछ तय नहीं हुआ। हमारे बीच सहमति बनी है कि अगले दो दिन में हम फिर बैठेंगे ताकि इस विधेयक के बारे में संभावित फार्मूले पर कोई आम सहमति बन सके। गौरतलब है कि एनसीपी और बीजेडी (बीजू जनता दल) ने हाल में मंत्रिमंडल द्वारा कुछ संशोधनों के साथ स्वीकृत इस विधेयक का उसी रूप में समर्थन करने की घोषणा कर रखी है।
आज की सर्वदलीय बैठक सरकार की पहल पर हुई, ताकि राज्य सभा में विपक्ष के नेताओं को भी विधेयक पर साथ लिया जा सके। सरकार की ओर से इसमें वित्त मंत्री अरुण जेटली और संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू शामिल हुए। इससे पहले 9 विपक्षी दलों ने सभापति हामिद अंसारी को एक नोटिस दे कर इस विधेयक को एक प्रवर समिति के समक्ष रखे जाने की मांग की थी। बीमा विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने की मांग करने वाले दलों में कांग्रेस, माकपा, भाकपा, सपा, बसपा, द्रमुक, जदयू, तृणमूल कांग्रेस और राजद शामिल हैं।
सत्तारृढ़ राजग राज्य सभा में बहुमत में नहीं है। ऐसे में विधेयक पारित कराने के लिए उसे दूसरे दलों के सहयोग की जरूरत है। यह विधेयक आर्थिक सुधार की दिशा में नयी सरकार का पहला कदम है। विपक्ष के रख को देखते हुए सरकार ने राज्य सभा में इस पर आज चर्चा कराने की तैयारी कल रात टाल दी।
नायडू ने कल कहा कि वह और वित्त मंत्री जेटली कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं से इस बारे में बातचीत करेंगे। उन्होंने विपक्ष से सहयोग की अपील की थी। नायडू ने कहा था, मैं कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों से अपील करता हूं कि वे व्यापक राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए इस बजट सत्र में इस प्रस्तावित विधेयक को पारित करने में सहयोग करें।
इस विधेयक में बीमा क्षेत्र की निजी कंपनियों में विदेशी हिस्सेदारी को 49 प्रतिशत तक करने की छूट है। साथ में शर्त है कि इनका प्रबंधकीय नियंत्रण भारतीय भागीदारों के ही हाथ में होगा। अभी बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी भागीदारी (एफडीआई) की अधिकतम सीमा 26 प्रतिशत है।
नायडू ने कहा था, संसदीय लोकतंत्र का आधार आर्थिक विकास के मुद्दों पर सकारात्मक सहयोग की भावना होनी चाहिए। नायडू ने कहा था कि चूंकि पूंजी की कमी के चलते देश में बीमा कवरेज की पहुंच पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, इसीलिए इस इस विधेयक में बीमा क्षेत्र में ज्यादा पूंजी प्रवाह उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है।

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