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जनमानस

भैसों की वी.आई.पी.सुरक्षा



एक अखबार में बड़ी हास्यास्पद खबर पढ़ी, उ.प्र. के नगर विकास मंत्री आजम खां की भैंसों को पंजाब से लाया गया, सहारनपुर की पुलिस ने उ.प्र. वार्डर से भैसों की गाड़ी को एस्कार्ट किया, जिस गाड़ी में भैसें लदी थी पुलिस बेन (गाड़ी) हूटर बजाते हुए आगे चल रही थी, जैसा कि शहर प्रवेश पर वीआईपी की सुरक्षा में पुलिस लगती है। गागलहेड़ी थाना पहुंचने पर थाना प्रभारी सहित पुलिस के तमाम मातहत पांचों पंचकारी भैसों की सेवा में जुट गए कोई हरा चारा लाया, एक भाई दस पन्द्रह किलो गुड़ ले आया, हर बंदा आजम खां की भैसों की सेवा का पुण्य लाभ लेना चाह रहा था।
भैस न हुई सोनिया गांधी हो गई सब पलक पावड़े बिछाने में जुटे सुबह मुजफ्फरनगर सीमा तक छोडऩे गए। चाटुकारिता की हद हो गई जहां हत्या, दुष्कर्म की घटनाएं रोकने में पुलिस नाकारा साबित रही हो वही एक घरुखौदा मंत्री की भैसों की सुरक्षा में पुलिस की कार्यवाही शर्मनाक ही नहीं निन्दनीय है। लोकतंत्र में इस तरह का कृत्य पुलिस की कार्यवाही पर सवालिया निशान लगाता है।
कुंवर वीरेन्द्र सिंह विद्रोही

ग्वालियर

Updated : 26 Aug 2014 12:00 AM GMT
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